[Team Insider]: उत्तरप्रदेश में विधानसभा चुनाव धीरे-धीरे नजदीक आ रही है। सभी राजनीतिक दल अपने वोट बैंक को अपने पाले में करने के लिए अलग-अलग राजनीतिक स्टंट का सहारा ले रहे हैं। किसी को राम का सहारा है तो कोई राम भक्त हनुमान के सहारे चुनावी मैदान का अखाड़ा जीतने की तैयारी में हैं। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपने रथ यात्रा के दौरान कुछ ऐसा ही हथकंडा अपनाया है। अखिलेश यादव अपने रथ यात्रा के उन्नाव पड़ाव पर पहुंचे थे जहां लोगों का ध्यान हनुमान जी के चित्र पर आ कर टीक गया। अखिलेश यादव रथ यात्रा के साथ-साथ हनुमान जी के भरोसे यूपी की सत्ता में वापसी की तैयारी में है।
रथ यात्रा और हनुमान के सहारे सत्ता में वापसी चाहते हैं अखिलेश
हालांकि, उत्तर प्रदेश की राजनीति में रथ यात्रा का यह कोई पहला मामला नहीं है। यहां रथ यात्रा की विशेष राजनीतिक महत्व है। अखिलेश से पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने भी 1990 में रथ यात्रा निकाली थी। आडवानी की रथ यात्रा का मंजिल राजनीति में अपनी पार्टी को मजबूत स्थिति में लाने के साथ-साथ अयोध्या फतह करना भी शामिल था। जो उनके जीवित रहते हुए भाजपा ने उनका अयोध्या सपना पूरा भी कर दिया। लेकिन अखिलेश यादव के रथ यात्रा में रामभक्त हनुमान की तस्वीर उत्तर प्रदेश की राजनीति में वापसी के अलावा कोई और लक्ष्य नहीं दिखा रही। क्या वो राम की सेना के खिलाफ हनुमान को उतारेंगे। ऐसे में तो हनुमान जी भी नाराज हो जाएंगे। खैर अखिलेश के मन में जो भी हो यह तो समय ही तय करेगा की सत्ता की वापसी में हनुमान जी कितने कारगर सिद्ध होंगे।
अपना हिंदूत्व पहचान स्थापित करने की कोशिश में अखिलेश
उन्नाव में उनकी रथ यात्रा में भारी भीड़ देखी गई और अखिलेश यादव ने भी अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं और समर्थकों से उपहार स्वीकार किए। जिन तस्वीरों ने लोगों का ध्यान खींचा उनमें भगवान हनुमान की एक तस्वीर भी शामिल थी। भगवान हनुमान की तस्वीर समाजवादी पार्टी के चुनाव चिन्ह के साथ तैयार की गई है, ‘साइकिल’ सबसे नीचे पार्टी कार्यकर्ता के नाम के साथ प्रदर्शित की गई है, जिसने इसे अखिलेश यादव को उपहार में दिया था जो अपने अस्थायी रथ (रथ) की ‘बालकनी’ से आगे बढ़े थे। एक अन्य तस्वीर में अखिलेश यादव भगवान हनुमान के प्रसिद्ध हथियार ‘गदा’ (गदा) की रक्षा कर रहे हैं। अखिलेश यादव ने बाएं हाथ में गदा लिए उन्नाव में रोड पर समर्थकों की भीड़ का भी अभिवादन किया।
भाजापा ने अखिलेश की हिंदू विरोधी इमेज बनाई
बता दें कि अखिलेश अपने पिछले चुनावों के विपरीत 2022 के लिए चुनाव प्रचार करते हुए नजर आ रहे हैं। उन्हें अब जानबूझकर अपना हिंदू पहचान प्रदर्शित करना पड़ रहा है। यह 2014 के लोकसभा चुनावों से चुनावी उलटफेर की एक श्रृंखला के पीछे आता है। इस अवधि के दौरान, भाजपा ने अखिलेश यादव और उनकी पार्टी को मुस्लिम समर्थक के रूप में प्रस्तुत किया था। इससे चुनावों में ध्रुवीकरण हो गया और भाजपा ने उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव 2014, विधानसभा चुनाव 2017 और फिर से आम चुनाव 2019 में आराम से जीत हासिल की।
बुआ अभी तक हैं अदृष्य, दलितों पर भी अखिलेश की नजर
दूसरी तरफ अखिलेश यादव ने बीजेपी की हिंदुत्व की राजनीति पर हमला करने के लिए संविधान का हवाला दिया। उन्होंने खुद को एक ‘धर्मनिरपेक्ष’ और समावेशी राजनेता के रूप में प्रस्तुत किया। उन्नाव में, अखिलेश यादव ने अपने समर्थकों से स्वीकार किए गए उपहारों में से एक डॉ भीमराव अंबेडकर की एक छोटी मूर्ति थी जिसे भारतीय संविधान के पिता के रूप में जाना जाता था। महाराष्ट्र में पैदा हुए अम्बेडकर को अक्सर उत्तर प्रदेश चुनावों में उद्धृत किया गया है। चूंकि बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की नेता मायावती यूपी में दलित उत्थान के नाम पर अंबेडकर के योगदान के बारे में मुखर रही हैं जबकि खुद को दलितों की सच्ची हितैसी के रूप में स्थापित किया है। हालाँकि, वह उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के प्रचार अभियान में अभी तक ‘अदृश्य’ ही रही हैं, जिससे अखिलेश यादव को दलित मतदाताओं को लुभाने का आधार मिला है।
फरवरी-मार्च में चुनाव संभव
बता दें कि उत्तर प्रदेश में अगले साल फरवरी-मार्च में सभी 403 विधानसभा सीटों के लिए मतदान होने की संभावना है। इस बीच चुनाव आयोग ने हाल ही में केंद्र सरकार से सभी चुनावी राज्यों उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा में कोरोना टीकाकरण के प्रयासों को तेज करने को कहा है। चुनाव आयोग की एक टीम उत्तर प्रदेश में भी कोरोना की स्थिति और टीकाकरण की रिपोर्ट लेने पहुंची है।