भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया पैनलिस्ट सह प्रदेश प्रवक्ता जयराम विप्लव ने कांग्रेस के तुष्टिकरण की राजनीति को निशाना बनाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदीजी ने कांग्रेस के काले इरादों को बेनकाब कर दिया है। यह एक तथ्य है कि राष्ट्रीय हितों को दरकिनार करते हुए कांग्रेस पार्टी ने हमेशा तुष्टिकरण की राजनीति की है।
भारत विभाजन, वक्फ बोर्ड का गठन , पर्सनल लॉ बोर्ड इमरजेंसी लगाकर संविधान की प्रस्तावना से छेड़छाड़ और यूपीए शासन में मुसलमानों को अनुसूचित जाति की सूची में शामिल करने और सरकारी नौकरियों में विशेष आरक्षण प्रदान करने के प्रयास जैसे काम से कांग्रेस की मंशा जगजाहिर है।
प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह के विवादास्पद बयान “मुसलमानों का देश के संसाधनों पर पहला हक है,” तुष्टिकरण का प्रमाण है। इस तरह के बयान और नीतियां न केवल सामाजिक तनाव पैदा करती हैं, बल्कि यह भी दर्शाती हैं कि कांग्रेस की राजनीतिक प्राथमिकताएँ वोट बैंक पर आधारित हैं न कि राष्ट्रीय हित पर।
उसी दौरान रंगनाथ कमीशन ने मुसलमानों को नौकरियों में 15% आरक्षण देने की सिफारिश की थी। ओबीसी के 27% से 6% काटकर मुसलमानों को देने की सिफारिश भी कांग्रेस द्वारा गठित इस आयोग में है। मनमोहन सिंह के बयान से ठीक एक महीना पहले सच्चर कमेटी की रिपोर्ट भी आई थी । पूरा माहौल बनाया गया कि मुस्लिमों की हालत एससी एसटी से भी खस्ताहाल है । ताकि आरक्षण के व्यवस्था में मुस्लिमों को जोड़ा जा सके। कर्नाटक जैसे राज्य में ओबीसी हिस्से से 4% मुस्लिम आरक्षण देने का प्रयोग हो चुका है ।
कांग्रेस का फोकस मुसलमानों पर इसलिए रहा क्योंकि कांग्रेस मुसलमानों को अपना वोटबैंक समझती थी। लेकिन सत्ता में रहते हुए आप किसी एक वर्ग की संतुष्टी के लिए काम नहीं कर सकते। आप तुष्टिकरण की नीति पर नहीं चल सकते, आपको सबको साथ लेकर चलने की जरुरत होती है। बहुसंख्यक समाज को भी और अल्पसंख्यक समाज को भी।
कांग्रेस ने जो अपने राज में किया वो संविधान द्वारा स्थापित समानता के सिद्धांत के खिलाफ है। सभी भारतीयों को समान अवसर प्रदान करना चाहिए, न कि किसी एक समुदाय को विशेषाधिकार। 2024 का कांग्रेस मेनिफेस्टो भी उसी लकीर का फकीर है। कांग्रेस फिर से मुसलमानों को तुष्टिकरण का फॉर्मूला समझाने में जुटी है।
मुस्लिम लीग जैसी बातें कर रहे हैं देश को हिंदू मुसलमान में बांट रही है। इस प्रकार की नीतियाँ समाज में विभाजन और असंतोष को जन्म देती हैं, जो देश के लिए हानिकारक है। जनता ने 2014 में ही तुष्टिकरण को तिलांजलि देकर सबका साथ सबका विकास चुना है 2024 में जनता वही चुन रही है।