सुप्रीम कोर्ट एक सिंतबर को 1995 के दोहरे हत्याकांड मामले में प्रभुनाथ सिंह को दी जाने वाली सजा की अवधी पर सुनवाई करेगी। इस मामले सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उसके सामने पेश होने की अनुमति दे दी है। न्यायमूर्ति एसके कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने राजद नेता को शीर्ष अदालत के पहले के निर्देश के खिलाफ शारीरिक उपस्थिति से छूट दे दी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि वह एक ऐसे मामले से निपट रहा है जो हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली का बेहद दर्दनाक प्रकरण है।
आजीवन कारावास से लेकर मृत्युदंड तक की हो सकती है सजा
शीर्ष अदालत ने प्रभुनाथ सिंह को दोषी करार देते हुए कहा था कि इसमें जरा भी संदेह नहीं है कि उन्होंने अपने खिलाफ सबूतों को मिटाने के लिए किये गये हरसंभव प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह मामला सारण जिले के छपरा में मार्च 1995 में विधानसभा चुनाव के दौरान मतदान के दिन दो लोगों की हत्या से जुड़ा है। तब प्रभुनाथ सिंह बिहार पीपल्स पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे। एक सितंबर को सिंह की सजा पर सुनवाई होगी और उन्हें आजीवन कारावास से लेकर मृत्युदंड तक की सजा दी जा सकती है। प्रभुनाथ सिंह बिहार के महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र से आरजेडी और जेडीयू दोनों के सांसद रह चुके हैं।