[Team insider] उत्तर प्रदेश विधान चुनाव (UP Chunav) का आखिरी चरण के मतदान के साथ पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव का रण समाप्त हो गया। मतदाताओं को अपनी तरफ लाने के लिए तमाम दलों ने पूरा जोर लगाया। इसमें उन्हें कितनी सफलता मिली है, यह 10 मार्च को चुनाव परिणाम के साथ सामने आ जाएगा।
हर किसी की निगाहें 10 मार्च को आने वाले चुनावी नतीजों पर
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के आखिरी चरण की मतदान संपन्न हुआ। पूर्वांचल के 9 जिलों की 54 सीटों पर वोटिंग प्रक्रिया समाप्त होने के साथ ही प्रदेश में चुनावी समर का अंत हो गया। 10 फरवरी से शुरू हुआ मतदान 25 दिनों में सात पड़ावों को पार करता हुआ आखिरी बिंदु तक पहुंचा। इस बार का चुनाव काफी शांतिपूर्ण माहौल में संपन्न हुआ, जिसमें चुनावी हिंसा की रिपोर्ट इक्का-दुक्का ही दर्ज की गई। आखिरी चरण का मतदान समाप्त होने के साथ ही अब 10 मार्च को आने वाले चुनावी नतीजों पर हर किसी की निगाह जम गई है।
यूपी चुनाव सात चरणों में संपन्न
यूपी चुनाव सात चरणों में संपन्न कराया गया। प्रदेश में पहला चरण 10 फरवरी को हुआ। इस दिन 58 विधानसभा सीटों पर वोट डाले गए। इसके बाद 14 फरवरी को दूसरे चरण में 55, तीसरे चरण के तहत 20 फरवरी को 59, चौथे चरण के तहत 23 फरवरी को 59, पांचवें चरण के तहत 27 फरवरी को 61 और छठे चरण के तहत 3 मार्च को 57 सीटों पर वोट डाले गए। 403 सदस्यीय यूपी विधानसभा के आखिरी चरण में सोमवार को 54 सीटों पर मतदान के साथ लोकतंत्र के महापर्व की पूर्णाहूति हुई। पंजाब, उत्तराखंड और गोवा में एक-एक फेज में चुनाव हुआ। वहीं, मणिपुर में दो चरणों में वेाट डाले गए। सभी पांच राज्यों के चुनाव परिणाम एक साथ 10 मार्च को सामने आएंगे।
क्या अपने प्रदर्शन को दोहराएगी भाजपा
सात चरणों के बाद सबसे बड़ा सवाल भारतीय जनता पार्टी अपने पुराने प्रदर्शन को दोहराने में कामयाब होगी या नहीं, यही है। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 384 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, जिसमें से 312 सीटों पर उन्हें जीत मिली थी। उस समय भाजपा के समर्थक अपना दल सोनेलाल ने 11 सीटों पर उम्मीदवार उतारे, जिसमें से उन्हें 9 सीटों पर जीत मिली। एनडीए की हिस्सा रही सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने 8 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, जिसमें से 4 सीटों पर उन्हें जीत मिली। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने तब गठबंधन के रूप में चुनाव लड़ा था।
विपक्ष को लोगों ने किया था खारिज
समाजवादी पार्टी ने उस चुनाव में 311 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए थे। सत्ताधारी दल को महज 47 सीटों पर जीत मिली थी। वहीं, सपा की सहयोगी कांग्रेस ने 114 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए और उसे केवल 4 सीटें मिली। बसपा ने सभी 403 सीटों पर उम्मीदवार उतारे और पार्टी के खाते में 19 सीटें आई थी। वहीं, रालोद को एक सीट पर जीत मिली थी। इस प्रकार विपक्ष को यूपी की जनता ने खारिज कर दिया था। इस बार समाजवादी पार्टी और बसपा ने काफी जोरदार लड़ाई लड़ी। सपा के समर्थन में जनसभाओं में भारी भीड़ देखने को मिली।
एक्जिट पोल के पैटर्न से अलग आएगा रिजल्ट
एक्जिट पोल जिस पैटर्न को यूपी और बिहार में दिखाने की कोशिश करता है, उससे इतर परिणाम आते रहे हैं। वर्ष 2017 में तमाम चैनलों ने यूपी में करीबी मुकाबला दिखाया था। वहीं, बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के एक्जिट पोल में महागठबंधन को जीत होती दिखा दी गई थी। ऐसे में परिणाम काफी बदले हुए दिख सकते हैं। पंजाब में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच करीबी मुकाबला होता दिख रहा है। वहीं, गोवा में एक बार फिर हंग असेंबली के आसार हैं। भाजपा और कांग्रेस में बढ़त बनाने की होड़ है, लेकिन सरकार बनाने का जादूई 20 विधायकों का आंकड़ा पाने में कोई दल सफल होता नहीं दिख रहा है।
एक बार फिर मणिपुर में बन सकती भाजपा की सरकार
मणिपुर में एक बार फिर भाजपा की सरकार बन सकती है। वहीं, उत्तराखंड में भाजपा और कांग्रेस के बीच काफी करीबी मुकाबला होने के आसार हैं। ऐसे में वर्ष 2017 में जिन दो राज्यों में भाजपा को बड़ी जीत मिली थी, उसमें से उत्तराखंड में इस बार माहौल गड़बड़ाया दिख रहा है। हालांकि, यूपी में भाजपा सरकार बनाने लायक बहुमत का आंकड़ा पार करने में कामयाब होगी।