नई दिल्ली / वेटिकन सिटी: रोमन कैथोलिक चर्च के प्रमुख और विश्वभर में करोड़ों लोगों के आध्यात्मिक मार्गदर्शक पोप फ्रांसिस का सोमवार सुबह निधन हो गया। वह 88 वर्ष के थे। पोप के निधन की पुष्टि वेटिकन में कार्डिनल केविन फैरेल ने की। इस खबर के बाद भारत सहित पूरी दुनिया में शोक की लहर दौड़ गई।
प्रधानमंत्री मोदी ने साझा किया भावुक संदेश
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पोप फ्रांसिस के निधन पर गहरा दुख जताते हुए अपने आधिकारिक एक्स (पूर्व ट्विटर) हैंडल पर एक मार्मिक संदेश साझा किया। उन्होने लिखा कि पोप फ्रांसिस के निधन से अत्यंत दुख हुआ। वैश्विक कैथोलिक समुदाय के प्रति मेरी हार्दिक संवेदनाएं। वह करुणा, विनम्रता और आध्यात्मिक साहस के प्रतीक थे। मोदी ने पोप के साथ अपनी मुलाकातों को याद करते हुए कहा कि वे समावेशी विकास और मानवीय सेवा के प्रति उनके दृष्टिकोण से अत्यधिक प्रेरित हुए थे। उन्होंने यह भी लिखा कि पोप का भारत और उसके लोगों के प्रति प्रेम हमेशा स्मरणीय रहेगा।
वेटिकन में सुबह 7:35 बजे अंतिम सांस ली
वेटिकन न्यूज के मुताबिक, पोप फ्रांसिस ने कासा सांता मार्टा स्थित अपने निवास पर सोमवार सुबह 7:35 बजे अंतिम सांस ली। फरवरी 2025 में उन्हें बाइलेटरल निमोनिया का निदान हुआ था, जिसके चलते वे कई सप्ताह अस्पताल में भर्ती रहे थे। इसके बाद से उनकी तबीयत लगातार गिरती जा रही थी। पोप का निधन ईस्टर मंडे को हुआ — यह दिन ईसा मसीह के पुनरुत्थान के बाद का दिन होता है और ईसाई समुदाय के लिए विशेष आध्यात्मिक महत्व रखता है। 30 अक्टूबर 2021 को प्रधानमंत्री मोदी और पोप फ्रांसिस के बीच वेटिकन में मुलाकात हुई थी। इस मुलाकात के दौरान मोदी ने पोप को भारत आने का निमंत्रण दिया था, जिसे उन्होंने स्वीकार किया था, हालांकि यह यात्रा संभव नहीं हो सकी। उनकी उस ऐतिहासिक मुलाकात की तस्वीरें एक बार फिर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं, जिनमें दोनों नेताओं को गर्मजोशी से गले मिलते और संवाद करते देखा जा सकता है।
पोप की सादगी से अंत्येष्टि की इच्छा
पोप फ्रांसिस ने 2024 में अपने अंतिम संस्कार की विधियों में बदलाव किए थे, जिसमें उन्होंने सादगी पर जोर दिया था। आर्चबिशप डिएगो रावेली ने बताया कि पोप चाहते थे कि उनकी अंत्येष्टि प्रभु मसीह की शिक्षाओं के अनुरूप सरल और आध्यात्मिक हो। उनके पार्थिव शरीर को ताबूत में रखने से पहले चैपल में आधिकारिक पुष्टि की गई।
जीवन परिचय: सेवा और सहानुभूति की मिसाल
पोप फ्रांसिस का असली नाम जॉर्ज मारियो बर्गोग्लियो था। उनका जन्म 17 दिसंबर 1936 को अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स में हुआ था। वे 13 मार्च 2013 को पोप बने, और अमेरिका महाद्वीप से चुने गए पहले तथा पहले जेसुइट पोप थे। अपने कार्यकाल में उन्होंने पर्यावरण संरक्षण, सामाजिक न्याय, और अंतरधार्मिक संवाद जैसे मुद्दों पर जोर दिया। जलवायु परिवर्तन और गरीबी के खिलाफ उनकी अपील ने उन्हें वैश्विक नेतृत्व का मानवीय चेहरा बना दिया। बताते चलें कि पोप के निधन के बाद दुनिया भर के नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी है। भारत सहित कई देशों में चर्चों में विशेष प्रार्थना सभाएं आयोजित की जा रही हैं। वैटिकन जल्द ही अंत्येष्टि की तारीख और स्थान की घोषणा करेगा।