भारतीय राजनीति और खेल जगत में इस समय एक ही नाम की गूंज सुनाई दे रही है—भारत का डंका! इसी में एक नाम जय शाह का भी आता है जो बीसीसीआई अध्यक्ष के बाद अब आईसीसी के चेयरमैन हैं। जय शाह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के पुत्र हैं और अब जय शाह को भी राजनीति में उतरने की मांग भाजपा कार्यकर्ता कर रहे हैं।
भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा के प्रदेश प्रवक्ता कृष्ण सिंह कल्लू ने एक महत्वपूर्ण बयान देते हुए कहा कि जैसे प्रधानमंत्री मोदी जी ने भारत को वैश्विक मंच पर एक नई पहचान दी है, ठीक वैसे ही जय शाह ने क्रिकेट प्रशासन में भारत का परचम लहराया है। उन्होंने कहा कि “हम सब युवाओं की यही मांग है कि जय शाह जी को भारतीय राजनीति में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।”
क्रिकेट प्रशासन में अपनी कुशल रणनीतियों से भारतीय क्रिकेट को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने वाले जय शाह को अब राजनीति में लाने की मांग उठ रही है।
आईसीसी में भारत की बढ़ती पकड़, क्रिकेट के व्यावसायिकरण में सुधार और भारतीय टीम की बेहतरीन अंतरराष्ट्रीय उपलब्धियों ने जय शाह को एक कुशल प्रशासक के रूप में स्थापित किया है। लेकिन सवाल यह उठता है—क्या जय शाह राजनीति में आएंगे? क्या वे क्रिकेट के बाद अब राजनीति में भी “चाणक्य” साबित होंगे?