बिहार की राजनीति में 2025 के विधानसभा चुनाव की गर्मी अभी से महसूस की जा रही है। इस बार केंद्र में हैं चुनावी रणनीतिकार से जन आंदोलनकारी बने प्रशांत किशोर, जिन्होंने जमुई में जनसभा कर राज्य की सियासत में नया रंग घोल दिया। प्रेस वार्ता में उन्होंने चिराग पासवान से लेकर नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव तक, सभी प्रमुख नेताओं को कठघरे में खड़ा किया।
चिराग को चुनौती: “अगर हिम्मत है तो मंत्री पद छोड़ें”
प्रशांत किशोर ने चिराग पासवान को खुले मंच से चुनौती देते हुए कहा कि अगर वे वाकई बिहार की राजनीति में गंभीर हैं, तो पहले केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दें। उनका कहना था कि चिराग ‘बिहार मुझे बुला रहा है’ जैसे नारे देकर असल में दिल्ली की सत्ता में सौदेबाज़ी कर रहे हैं। किशोर ने इसे “प्रेसर पॉलिटिक्स” करार दिया और इसे ज़्यादा सीटों की मांग का हथकंडा बताया।
तेजस्वी पर प्रहार: “शराबबंदी के समय उपमुख्यमंत्री थे, अब वादे हास्यास्पद”
प्रशांत ने शराबबंदी को लेकर तेजस्वी यादव पर भी निशाना साधा। उन्होंने याद दिलाया कि 2016 में जब यह कानून लागू हुआ, उस वक्त तेजस्वी खुद उपमुख्यमंत्री थे। फिर भी उन्होंने इस कानून को खत्म नहीं किया। अब चुनावी वादों में शराबबंदी हटाने की बात करना सिर्फ राजनीतिक नौटंकी है। किशोर ने यह भी आरोप लगाया कि शराबबंदी से पैदा हुई काली अर्थव्यवस्था के चलते राज्य को हर साल 20,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है।
नीतीश सरकार पर निशाना: “घोषणाओं की सरकार, ज़मीन पर कुछ नहीं”
नीतीश कुमार की सरकार को भी प्रशांत किशोर ने बख्शा नहीं। उन्होंने आरोप लगाया कि 94 लाख लोगों को 2-2 लाख रुपये देने की घोषणा एक जुमला है और अब तक किसी को इसका लाभ नहीं मिला है। ज़मीन सर्वे के नाम पर छोटे किसानों से अवैध वसूली, भूमिहीनों को जमीन देने का अधूरा वादा, और हर सरकारी सेवा में रिश्वतखोरी – ये सब आज के बिहार की सच्चाई हैं, जिसे बदलने का वक्त आ गया है।
‘जन सुराज’ की घोषणा और यात्रा की तैयारी
किशोर ने ऐलान किया कि वे 11 मई से नीतीश कुमार के गांव कल्याणबीघा से ‘जन सुराज उद्घोष यात्रा’ शुरू करेंगे। इस यात्रा का मकसद बिहार के आम नागरिकों से सीधा संवाद कर पारंपरिक राजनीति को चुनौती देना है। किशोर ने मंच से कहा कि मैं नेता नहीं, आपका साथी हूं। अब जनता की सरकार बनेगी, नेताओं की नहीं।
जनसभा में प्रशांत किशोर ने खुद को खास नहीं, आम साबित करने की कोशिश की। उन्होंने VIP रास्ते का उपयोग नहीं किया, बल्कि श्रीकृष्ण सिंह स्टेडियम के गेट से पैदल मंच तक पहुंचे। सभा खत्म होने के बाद भी वे जनता के साथ “जय बिहार” के नारे लगाते हुए गाड़ी तक लौटे।
प्रशांत किशोर ने चुनावी एजेंडे के केंद्र में रोजगार और शिक्षा को रखने का एलान किया। उन्होंने कहा कि अगर उनकी सरकार बनी तो युवाओं को राज्य से बाहर छोटे वेतन की नौकरी के लिए नहीं जाना पड़ेगा। साथ ही बुजुर्गों को 2,000 रुपये मासिक पेंशन देने की बात कही।