बिहार की सियासत में ‘रणनीतिकार’ के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने विधानसभा चुनाव 2025 से ठीक पहले एक बड़ा और अप्रत्याशित फैसला लेकर राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। लंबे समय से यह अटकलें चल रही थीं कि जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर खुद तेजस्वी यादव के खिलाफ राघोपुर सीट से चुनावी मैदान में उतर सकते हैं। लेकिन रविवार को उन्होंने साफ कर दिया कि वे इस बार बिहार विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे।
पीके ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि यह निर्णय “पार्टी के व्यापक हित में” लिया गया है। उन्होंने कहा कि अगर वे चुनाव लड़ते, तो उनका ध्यान संगठन विस्तार और पार्टी की रणनीति से भटक सकता था। इसलिए, उन्होंने खुद को मैदान से बाहर रखकर संगठन को मजबूत करने की जिम्मेदारी संभालने का निर्णय लिया है। प्रशांत किशोर ने कहा, “जन सुराज आंदोलन का उद्देश्य किसी एक व्यक्ति की जीत नहीं, बल्कि बिहार में नई राजनीतिक संस्कृति की स्थापना है। हम उसी दिशा में काम कर रहे हैं।”
इस घोषणा के साथ ही जन सुराज पार्टी ने अपने प्रत्याशियों की पहली सूची भी जारी की, जिसमें राघोपुर विधानसभा सीट से चंचल सिंह को उम्मीदवार बनाया गया है। पार्टी के इस फैसले के साथ अब यह लगभग तय हो गया है कि प्रशांत किशोर न तो राघोपुर से और न ही करगहर सीट से चुनाव लड़ेंगे।
राघोपुर सीट, जहां से तेजस्वी यादव लगातार दो बार विधायक रहे हैं, इस बार एक बार फिर सुर्खियों में है। जन सुराज द्वारा इस सीट पर चंचल सिंह को उतारना, पार्टी की उस सोच को दर्शाता है जिसमें वह नई पीढ़ी के स्थानीय नेताओं को मौका देना चाहती है। पार्टी की रणनीति यह भी बताती है कि वह किसी भी तरह के सीधा ‘फेस ऑफ’ के बजाय वैकल्पिक राजनीति का संदेश देना चाहती है।






















