बिहार की राजनीति में बदलाव का बिगुल फूंक चुके प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) अब पहले से ज्यादा आक्रामक तेवर में नजर आ रहे हैं। मंगलवार की देर शाम वह रोहतास जिले के डेहरी ऑन सोन पहुंचे, जहां एक निजी होटल में जिले के प्रबुद्ध जनों, डॉक्टरों, वकीलों और व्यवसायियों के साथ संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस दौरान उन्होंने अपने ‘बिहार बदलाव यात्रा’ के उद्देश्य और जन सुराज आंदोलन की दिशा को विस्तार से समझाया।
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कार्यक्रम के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए पीके ने जोरदार बयान दिया। उन्होंने कहा कि जन सुराज की सरकार बनते ही सात दिन के अंदर भ्रष्ट नेताओं और अफसरों को जेल भेजा जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य में भ्रष्टाचार जड़ें जमा चुका है, जिसे उखाड़ फेंकना अब ज़रूरी हो गया है। यह केवल राजनीतिक नारा नहीं, बल्कि उनकी प्रतिबद्धता है।
शराबबंदी को बताया असंवैधानिक
प्रशांत किशोर ने बिहार में लागू शराबबंदी पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि गांधीजी ने कभी शराबबंदी को कानून बनाकर थोपने की बात नहीं की थी, बल्कि इसे व्यक्तिगत आचरण और समाज की सहमति से लागू करने की सलाह दी थी। उन्होंने कटाक्ष करते हुए पूछा कि अगर शराबबंदी इतनी ही अच्छी है, तो भाजपा इसे उत्तर प्रदेश या अपने शासित अन्य राज्यों में क्यों नहीं लागू करती?” उन्होंने दावा किया कि बिहार में शराबबंदी के कारण 20,000 करोड़ रुपये का सालाना नुकसान हो रहा है, जो सीधे तौर पर भ्रष्ट नेताओं और अफसरों की जेब में जा रहा है।
पुलिस-प्रशासन की भूमिका पर गंभीर आरोप
प्रशांत किशोर ने कहा कि शराबबंदी और बालू खनन ने पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को उगाही तंत्र में तब्दील कर दिया है। आधे से ज्यादा अफसर दलालों से सांठगांठ कर सिर्फ पैसे वसूलने में लगे हैं, जबकि कानून व्यवस्था और आम जनता की समस्याओं से उनका कोई लेना-देना नहीं बचा है।
70 हजार करोड़ का कोई हिसाब नहीं
पीके ने बिहार सरकार पर कैग रिपोर्ट के हवाले से बड़ा हमला बोला। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के खजाने से 70 हजार करोड़ रुपये का कोई लेखा-जोखा मौजूद नहीं है, यह सीधा-सीधा भ्रष्टाचार का महाघोटाला है। ये पैसे कहां गए? किस काम में खर्च हुए? कोई नहीं जानता।” उन्होंने कहा कि जन सुराज की सरकार आने पर एक-एक पैसे का हिसाब लिया जाएगा और जो भी दोषी होगा, उस पर कानून के तहत कड़ी कार्रवाई होगी।
जन संवाद में साझा किया विकास का विजन
कार्यक्रम में मौजूद स्थानीय लोगों ने जब पीके से सवाल किए तो उन्होंने सबका धैर्यपूर्वक जवाब दिया। उन्होंने कहा कि जन सुराज सिर्फ एक राजनीतिक विकल्प नहीं, बल्कि नीति आधारित आंदोलन है, जो बिहार को भ्रष्टाचार और जातिवाद के जाल से निकालने का संकल्प लेकर चला है।