राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राज्यसभा के लिए चार प्रतिष्ठित व्यक्तियों को नामित किया है। इनमें वरिष्ठ सरकारी वकील उज्ज्वल देवराव निकम, केरल के सामाजिक कार्यकर्ता और शिक्षाविद् सी. सदानंदन मास्टर, पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला और इतिहासकार डॉ. मीनाक्षी जैन का नाम शामिल है। ये नामांकन राज्यसभा की उन सीटों को भरने के लिए किए गए हैं जो पूर्व में मनोनीत सदस्यों की सेवानिवृत्ति के कारण रिक्त हो गई थीं। ये नियुक्तियां संविधान के अनुच्छेद 80(1)(क) के खंड (3) के तहत की गई हैं, जो राष्ट्रपति को कला, साहित्य, विज्ञान और समाज सेवा जैसे क्षेत्रों में विशिष्ट योगदान देने वाले 12 व्यक्तियों को राज्यसभा में मनोनीत करने का अधिकार देता है।

हर्षवर्धन श्रृंगला: कूटनीति के अनुभवी चेहरा
हर्षवर्धन श्रृंगला भारत के पूर्व विदेश सचिव रह चुके हैं। उन्होंने अमेरिका, बांग्लादेश और थाईलैंड में भारत के राजदूत के रूप में भी सेवाएं दी हैं। 2023 में भारत की जी20 अध्यक्षता के दौरान वे मुख्य समन्वयक की भूमिका में थे। विदेश नीति और वैश्विक मंचों पर भारत की रणनीति के क्षेत्र में उनका अनुभव उल्लेखनीय रहा है।
उज्ज्वल निकम: न्यायपालिका में अहम भूमिका
उज्ज्वल देवराव निकम देश के प्रमुख आपराधिक वकीलों में गिने जाते हैं। उन्होंने 26/11 मुंबई आतंकी हमलों के मुकदमे में अभियोजक की भूमिका निभाई थी और अजमल कसाब को सजा दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी। इसके अलावा 1993 बॉम्बे विस्फोट जैसे कई हाई-प्रोफाइल मामलों में भी उन्होंने सरकारी पक्ष का प्रतिनिधित्व किया है। 2024 के आम चुनावों में वे भाजपा की ओर से मुंबई उत्तर मध्य सीट से उम्मीदवार रहे थे।
पटना में भाजपा नेता की हत्या पर सियासी भूचाल: तेजस्वी यादव ने नीतीश सरकार और भाजपा पर जमकर बरसे
सी. सदानंदन मास्टर: जुझारू सामाजिक कार्यकर्ता
केरल के सामाजिक कार्यकर्ता सी. सदानंदन मास्टर भाजपा से जुड़े हैं और पूर्व में शिक्षक रह चुके हैं। उन्हें 1994 में राजनीतिक हिंसा का शिकार बनाया गया था जब उनके पैतृक गांव पेरिंचरी में माकपा कार्यकर्ताओं ने उन पर हमला कर उनके दोनों पैर काट दिए थे। इसके बावजूद वे सक्रिय रूप से सामाजिक कार्यों और राजनीति में संलग्न रहे हैं। 2021 के विधानसभा चुनावों में वे भाजपा के उम्मीदवार भी रहे।
डॉ. मीनाक्षी जैन: इतिहास और शिक्षा की ज्ञाता
प्रख्यात इतिहासकार और शिक्षाविद् डॉ. मीनाक्षी जैन दिल्ली विश्वविद्यालय के गार्गी कॉलेज में इतिहास की एसोसिएट प्रोफेसर रही हैं। भारतीय इतिहास, सांस्कृतिक विरासत और समाज पर उनके लेखन को अकादमिक जगत में अत्यंत सम्मान प्राप्त है। उनके शोध कार्यों ने भारतीय इतिहास की पुनर्व्याख्या में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है।