मणिपुर में 21 महीने से जारी जातीय हिंसा और राजनीतिक उठापटक के बीच केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। गुरुवार को केंद्र ने मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया। यह कदम मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के इस्तीफे के कुछ दिनों बाद उठाया गया है। बीरेन सिंह ने 9 फरवरी को राज्यपाल अजय कुमार भल्ला को अपना इस्तीफा सौंप दिया था, जिसके बाद राज्य में राजनीतिक अनिश्चितता बढ़ गई थी।
मणिपुर में पिछले 21 महीनों से जारी जातीय हिंसा में 250 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों लोग विस्थापित हुए हैं। हिंसा के दौरान राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति बेकाबू हो गई थी। इस बीच, मुख्यमंत्री बीरेन सिंह पर हिंसा भड़काने के आरोप लगे थे। एक विवादित ऑडियो टेप सामने आया था, जिसमें कथित तौर पर बीरेन सिंह को यह कहते हुए सुना गया कि उन्होंने राज्य में हथियार लूटने की इजाजत दी थी। इस ऑडियो टेप पर सुप्रीम कोर्ट ने फोरेंसिक जांच का आदेश दिया था।
बीरेन सिंह ने अपने इस्तीफे में कहा, “मणिपुर के लोगों की सेवा करना सम्मान की बात रही है। मैं समय पर कार्रवाई करने और मणिपुर के हर व्यक्ति के हितों की रक्षा के लिए केंद्र सरकार का बहुत आभारी हूं।” हालांकि, उनका इस्तीफा राज्य की राजनीति में एक बड़ा वैक्यूम पैदा कर गया। उनके इस्तीफे के बाद राज्य के बजट सत्र को रद्द कर दिया गया था, जिससे राज्य प्रशासनिक और वित्तीय संकट में फंस गया।
अब राष्ट्रपति शासन लागू होने के साथ ही मणिपुर में केंद्र सरकार का प्रत्यक्ष नियंत्रण स्थापित हो गया है। यह कदम राज्य में शांति और स्थिरता बहाल करने के लिए उठाया गया है। हालांकि, विपक्षी दलों का आरोप है कि केंद्र सरकार ने समय रहते कदम नहीं उठाए, जिससे हिंसा और बढ़ गई।
विवादित ऑडियो टेप: क्या है पूरा मामला?
विवादित ऑडियो टेप में कथित तौर पर बीरेन सिंह को यह कहते हुए सुना गया कि उन्होंने राज्य में हथियार लूटने की इजाजत दी थी। इस टेप ने राज्य की राजनीति में तूफान ला दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस टेप की फोरेंसिक जांच का आदेश दिया था, जिसके बाद बीरेन सिंह के लिए स्थिति और मुश्किल हो गई।