लोकसभा में प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) ने ऑपरेशन सिंदूर पर बोलते हुए कहा कि ‘सबसे पहले मैं उन सैनिकों, जवानों को नमन करना चाहती हूं, जो दुर्गम क्षेत्रों में हमारी सीमाओं की रक्षा करते हैं। 1948 से लेकर अब तक हमारे देश की अखंडता की रक्षा करने में उनका बड़ा योगदान है। हमारी आजादी अहिंसा के आंदोलन से हासिल हुई, लेकिन उसे कायम रखने में हमारी सेना का बहुत बड़ा योगदान है। कल मैं सदन में सभी के भाषण सुन रही थी। रक्षा मंत्री के भाषण को सुनते हुए एक बात मुझे खटकी कि सारी बातें कर ली। इतिहास का पाठ भी पढ़ा दिया, लेकिन एक बात छूट गई कि 22 अप्रैल 2025 को जब 26 नागरिकों को उनके परिजनों के सामने खुलेआम मारा गया तो ये हमला कैसे हुआ क्यों हुआ?’
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‘आतंकी बायसरन घाटी में क्या कर रहे थे? कुछ समय से हमारी सरकार प्रचार कर रही थी कि कश्मीर में शांति है। प्रधानमंत्री ने भी कहा कि वहां अमन चैन और शांति का वातावरण है। 22 अप्रैल 2025 को बायसरन घाटी में मौसम अच्छा था। हर रोज हजारों लोग पहुंचते थे तो उस दिन भी बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। तभी आतंकी जंगल से निकलते हैं और एक घंटे तक लोगों को चुन-चुनकर मारते हैं। जब एक घंटे तक लोगों को चुन-चुनकर मारा जा रहा था तो उन्हें एक सुरक्षाकर्मी नहीं दिखा। मैं ये कह सकती हूं कि देश ने, सरकार ने हमें वहां पर अनाथ छोड़ दिया। सुरक्षा वहां क्यों नहीं थी? क्या सरकार को मालूम नहीं था कि हजारों लोग वहां जाते हैं। लोग सरकार के भरोसे गए और सरकार ने उन्हें भगवान भरोसे छोड़ दिया। ये किसकी जिम्मेदारी किसकी थी?’
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प्रियंका गांधी ने पहलगाम आतंकी हमले के जिम्मेदार टीआरएफ को लेकर सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि ‘टीआरएफ ने कई आतंकी हमले किए, लेकिन 2023 में उसे आतंकी संगठन घोषित किया गया। एक संगठन इतना बड़ा हमला करता है और सरकार को पता नहीं चला? हमारी एजेंसियां हैं, इनकी जिम्मेदारी कौन लेगा, क्या किसी ने इस्तीफा दिया? खुफिया विभाग गृह मंत्रालय के तहत आता है, क्या गृह मंत्री ने इसकी जिम्मेदारी ली। इतिहास की बात आप करते हैं, मैं वर्तमान की बात करूंगी। 11 साल से तो आपकी सरकार है, आपकी कोई जिम्मेदारी है कि नहीं।’
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प्रियंका गांधी ने कहा कि ‘मुंबई हमले में शामिल सभी आतंकियों को उसी वक्त मारा गया था। गृह मंत्री ने इस्तीफा दिया था। हमारी जवाबदेही थी देश की जनता के प्रति। देश जवाब चाहता है कि 22 अप्रैल के दिन क्या हुआ और क्यों हुआ। सरकार अपनी पीठ थपथपाती रहती है। संसद में झूठ बोलती है। हम हमले के वक्त एकजुट हुए। देश पर हमला होगा तो हम सभी आपका समर्थन करेंगे। सेना पर हमें गर्व है कि उन्होंने वीरता से लड़ाई लड़ी, लेकिन ऑपरेशन सिंदूर का श्रेय को हमारे प्रधानमंत्री चाहते हैं। ओलंपिक के मेडल का भी श्रेय लेते हैं, लेकिन सिर्फ श्रेय लेने से नहीं होता, जिम्मेदारी भी लेनी होती है। देश के इतिहास में पहली बार हुआ कि जंग होते-होते ही रुक गई और रुकावट का एलान हमारी सरकार और सेना नहीं करती बल्कि अमेरिका के राष्ट्रपति करते हैं! ये सरकार की गैरजिम्मदेारी है।’
‘आज गृह मंत्री ने बताया कि पाकिस्तान के पास शरण में आने के अलावा चारा ही नहीं थी लेकिन आपने शरण दी ही क्यूं? नेहरू गांधी, इंदिरा गांधी ने क्या किया। यहां तक कि मेरी मां के आँसू तक चले गए, लेकिन ये जंग क्यों रुकी इसका जवाब नहीं दिया। मेरी मां के आंसू तब गिरे, जब उनके पति को आतंकवादियों ने शहीद किया। मैं आज पहलगाम हमले के पीड़ितों की बात इसलिए कर रही हूं क्योंकि मैं उनका दर्द समझती हूं। हमारी कूटनीति विफल रही है। तभी पाकिस्तान के जनरल राष्ट्रपति ट्रंप के साथ बैठकर लंच कर रहे थे। इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा क्या प्रधानमंत्री लेंगे? अगर ऑपरेशन सिंदूर में जहाजों का नुकसान नहीं हुआ तो सदन में बताने में क्या हर्ज है?
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ये सरकार सवालों से बचती है, इसकी राजनीतिक कायरता बेमिसाल है। इनके दिल में जनता के लिए कोई जगह नहीं हैं, सब राजनीति, पीआर और प्रचार है। बहुत समय हो गया बस प्रचार में ही लिप्त हैं। जो पहलगाम में हुआ, उससे हर देशवासी के दिल पर चोट पहुंची है। इसलिए मैं आज यहां खड़े होकर एक आखिरी बात करना चाहती हूं। इस सदन में लगभग सभी के पास सुरक्षा है। हम जहां भी जाते हैं हमें सुरक्षा मिलती है। उस दिन पहलगाम में 26 परिवार उजड़ गए। 26 बेटे, पति, पिता गुजर गए। उनमें से 25 भारतीय थे। जितने भी लोग बायसरन घाटी में थे उनके लिए कोई सुरक्षा नहीं थी। आप कितने भी ऑपरेशन कर डालें आप इस सच्चाई से नहीं छिप सकते।’ इसके बाद प्रियंका गांधी ने पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए 25 भारतीयों के नाम लिए और अपना वक्तव्य समाप्त किया।