इस्लामाबाद: पाकिस्तान सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर ने बुधवार को एक कार्यक्रम में दिए गए भाषण में सेना के विरोधियों और आलोचकों को आड़े हाथों लिया। प्रवासी पाकिस्तानियों को संबोधित करते हुए उन्होंने सेना को बदनाम करने वालों को “देश के दुश्मनों का दोस्त” बताया और एक बार फिर भारत पर परोक्ष रूप से निशाना साधा, हालांकि उन्होंने नाम नहीं लिया। मुनीर ने कहा, “जो आपकी सेना को बदनाम करता है, वह दुश्मन का दोस्त है। कुरान में कहा गया है कि जब कोई सूचना मिले, तो उसकी तहकीकात करें। लेकिन आज सोशल मीडिया कहता है, जैसा मिले, वैसा ही आगे बढ़ा दो।”
“हम हिंदुओं से बिल्कुल अलग हैं”: सांप्रदायिक बयानबाजी का सहारा
अपने संबोधन में जनरल मुनीर ने पाकिस्तान की विचारधारा को मजहबी रंग देते हुए कहा कि, “हम हिंदुओं से पूरी तरह अलग हैं – हमारी संस्कृति, सोच और मजहब अलग है। पाकिस्तान मदीने के बाद एकमात्र ऐसा मुल्क है जो कलमे की बुनियाद पर बना है।” उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तान को खून और कुर्बानियों से हासिल किया गया है, और इस विचारधारा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
कश्मीर, गाजा और बलूचिस्तान का भी जिक्र
अपने भाषण में उन्होंने कश्मीर और गाजा जैसे मुद्दों को भी उठाया। कश्मीर को लेकर उन्होंने कहा, “यह हमारे खून में दौड़ता है, हम इसे कभी नहीं भूल सकते।” बलूचिस्तान पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि यह पाकिस्तान के “माथे का झूमर” है और कोई इसे हमसे छीन नहीं सकता। बलूच विद्रोहियों पर सख्त टिप्पणी करते हुए मुनीर बोले, “तुम कहोगे कि हम इसे ले जाएंगे? तुम्हारी दस नस्लें भी ऐसा नहीं कर पाएंगी।”
उन्होंने दावा किया कि बलूचिस्तान को पाकिस्तान में शामिल करने के लिए कई पीढ़ियों ने संघर्ष किया है और वहां के हालात को लेकर जो भी आलोचना हो रही है, वह गलत है। भाषण में जनरल मुनीर ने सीधे तौर पर भारत का नाम नहीं लिया, लेकिन उनके शब्दों और संदर्भों से साफ संकेत मिलते हैं कि वे भारत की ओर इशारा कर रहे थे। उन्होंने सांप्रदायिक और सैन्य मुद्दों को जोड़ते हुए पाकिस्तान की जनता को “एकजुट” रहने और सेना पर भरोसा बनाए रखने की अपील की।
पाकिस्तान में सेना के घटते प्रभाव की चिंता?
विशेषज्ञों का मानना है कि जनरल मुनीर का यह बयान उस समय आया है जब पाकिस्तान में सेना की लोकप्रियता लगातार गिर रही है। लंबे समय से देश की राजनीति और प्रशासन में सेना के दखल को लेकर आम जनता में असंतोष बढ़ा है। अक्सर आलोचक यह कहते सुने जाते हैं कि “पाकिस्तान के पास सेना नहीं है, बल्कि सेना के पास पाकिस्तान है।”