वाशिंगटन: एलन मस्क, जिन्हें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का करीबी माना जाता है, इन दिनों गहरे संकट में फंसते नजर आ रहे हैं। अमेरिका में सरकार के दक्षता विभाग (DOGE) के प्रमुख के तौर पर उनकी भूमिका को लेकर दुनियाभर में विरोध का सैलाब उमड़ पड़ा है। शनिवार को हजारों लोग सड़कों पर उतर आए और मस्क के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने टेस्ला की कई कारों को आग के हवाले कर दिया। यह विरोध केवल अमेरिका तक सीमित नहीं रहा, बल्कि ब्रिटेन और जर्मनी जैसे देशों में भी मस्क के प्रति लोगों का गुस्सा साफ दिखाई दिया।
लोगों का आरोप है कि मस्क ने DOGE प्रमुख के रूप में अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि मस्क ने संवेदनशील जानकारी एकत्र की और सरकारी खर्च में कटौती के नाम पर कई एजेंसियों को बंद कर दिया, जिससे हजारों लोगों की नौकरियां चली गईं और लाखों लोग प्रभावित हुए। इस नीति के खिलाफ जनता का गुस्सा अब टेस्ला पर उतर रहा है, जो मस्क की संपत्ति का सबसे बड़ा हिस्सा है।
टेस्ला शोरूम पर हमला
दुनिया के सबसे धनी व्यक्तियों में शुमार मस्क की संपत्ति करीब 340 बिलियन डॉलर आंकी जाती है, जिसमें टेस्ला का बड़ा योगदान है। शनिवार को अमेरिका के 277 टेस्ला शोरूम और सर्विस सेंटर प्रदर्शनकारियों के निशाने पर रहे। टेक्सास, न्यूयॉर्क, न्यूजर्सी, मैसाचुसेट्स, मिनेसोटा जैसे राज्यों में सैकड़ों लोग टेस्ला डीलरशिप के बाहर जमा हुए और विरोध प्रदर्शन किया। कई जगहों पर टेस्ला की कारों को आग लगा दी गई।
‘मस्क को हटाओ’ की गूंज
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में प्रदर्शनकारी ‘टेस्ला को जलाओ, लोकतंत्र बचाओ’, ‘अमेरिका को मस्क से आजाद करो’, और ‘नाजी कारें मत खरीदो’ जैसे नारे लगाते दिखे। शिकागो में एक टेस्ला शोरूम के बाहर लोगों ने ‘एलन मस्क को जाना होगा’ का शोर मचाया। ब्रिटेन में भी प्रदर्शनकारियों ने ‘दिवालिया एलन’ और ‘नाजी कारों का बहिष्कार’ जैसे पोस्टर लहराए। कुछ जगहों पर टेस्ला वाहनों को आग लगाने की घटनाएं भी सामने आईं।
ट्रंप का समर्थन, मस्क का बयान
मस्क ने इन हमलों पर हैरानी जताते हुए कहा, “यह पागलपन तुरंत बंद होना चाहिए।” दूसरी ओर, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मस्क का समर्थन करते हुए चेतावनी दी कि टेस्ला पर हमला करने वालों के खिलाफ कड़ा एक्शन लिया जाएगा और उन्हें 20 साल तक की जेल हो सकती है। बता दें कि इससे पहले भी टेस्ला की कारें निशाना बन चुकी हैं, लेकिन इस बार विरोध की तीव्रता अभूतपूर्व है। मस्क के फैसलों से उपजा यह जनाक्रोश अब वैश्विक स्तर पर चर्चा का विषय बन गया है। क्या यह विरोध मस्क को उनकी कुर्सी छोड़ने पर मजबूर करेगा, यह आने वाला वक्त ही बताएगा।