बिहार के पूर्णिया जिले से इंसानियत को झकझोर देने वाली घटना सामने आई है। झाड़-फूंक और अंधविश्वास के नाम पर पूरे एक परिवार का जनसंहार कर दिया गया। यह वारदात रविवार रात की है, जब परिवार के सभी सदस्य लापता हो गए थे। सोमवार की शाम को उनकी अधजली लाशें एक तालाब में मिलीं, जिन्हें जलाने के बाद बोरों में भरकर जलकुंभियों के बीच फेंक दिया गया था।
मारे गए लोगों में बाबू लाल उरांव, उनकी पत्नी, मां, बहू और बेटा शामिल हैं। सभी के शव 80% से अधिक जले हुए थे। शवों को घटनास्थल से करीब डेढ़ किलोमीटर दूर एक तालाब में छिपाया गया था। इस वीभत्स हत्याकांड ने पूरे इलाके को दहला दिया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पुलिस जांच में सामने आया है कि बाबूलाल उरांव का परिवार झाड़-फूंक से जुड़ा हुआ था। तीन दिन पहले गांव में एक बच्चे की मौत हो गई थी, जिसके बाद गांव के कुछ लोगों ने अंधविश्वास में बाबूलाल के परिवार को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया। इसी अंधविश्वास ने देखते ही देखते एक भयावह हिंसा का रूप ले लिया।
बाबूलाल के बेटे सोनू, जो इस नरसंहार में किसी तरह बच निकला, ने जो बयान दिया, वह दिल दहला देने वाला है। उसने कहा कि “मेरे सामने ही पूरे परिवार को मारा गया। रविवार रात करीब 10 बजे करीब 50 लोग हमारे घर में घुस आए। उन्होंने मेरी मां सीता देवी पर डायन होने का आरोप लगाया और बांस से बेरहमी से पीटने लगे। इसके बाद उन्होंने पूरे परिवार को मार डाला।”
इस हत्याकांड में गिरफ्तार एक आरोपी नकुल ने पूछताछ में स्वीकार किया है कि “हमने पहले सबको मिलकर पीटा, फिर डीजल छिड़ककर उन्हें जिंदा जला दिया। बाद में जलते हुए शवों को तालाब में ले जाकर बोरों में भरकर फेंक दिया।”
घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और तालाब से शव बरामद किए। अब तक कई संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है। पुलिस का कहना है कि हत्याकांड में शामिल सभी लोगों की पहचान कर ली गई है और उनकी गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है।
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि “यह पूरी तरह से अंधविश्वास और झाड़-फूंक के खिलाफ एक सोच से जुड़ा हुआ मामला है। हम हर पहलू से जांच कर रहे हैं और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाने का प्रयास किया जा रहा है।”