साल 2020 की बिहार विधानसभा चुनावों में जब अखबार के पहले पन्ने पर एक युवा चेहरा पूरे आत्मविश्वास के साथ उभरा था, तब लोगों ने चौंककर पूछा था – “ये कौन हैं?” जवाब था – पुष्पम प्रिया चौधरी, लंदन रिटर्न, ऊर्जावान, और राजनीति में बदलाव का दावा करने वाली एक नई शक्ति।
तब उन्होंने ‘एकला चलो रे’ की राह पकड़ी, गठबंधन को सिरे से नकार दिया, और द प्लूरल्स पार्टी के बैनर तले अकेले चुनावी समर में कूदीं। हालांकि, 2020 की राजनीति में उनकी एंट्री जितनी धमाकेदार थी, नतीजे उतने ही ठंडे साबित हुए। लेकिन अब, 2025 आते-आते पुष्पम प्रिया का अंदाज़ बदला-बदला नजर आ रहा है।
एकला चलो से गठबंधन तक
पुष्पम प्रिया अब बदलाव की बात तो कर ही रही हैं, लेकिन बदलाव के साझीदार भी तलाश रही हैं। पुष्पम प्रिया ने बताया कि “पिछली बार हमने कहा था कि हम गठबंधन नहीं करेंगे, लेकिन इस बार थोड़ा ओपन हुए हैं। इसे एडप्टेबिलिटी कहते हैं।” इस बार की उनकी रणनीति स्पष्ट है—जो सच में बिहार में बदलाव लाना चाहता है, उसके साथ चलने को तैयार हैं। गठबंधन पर लचीला रुख अपनाते हुए उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर कोई पार्टी कॉमन मिनिमम प्रोग्राम पर बात करती है, ठोस प्लान देती है, तो द प्लूरल्स पार्टी साथ चलने को तैयार है।
सीतामढ़ी से जय सियाराम की हुंकार
पुष्पम प्रिया हाल ही में महायान यात्रा के तहत सीतामढ़ी पहुंचीं, और मिथिला के दिल से एक सांस्कृतिक संदेश दिया। पुष्पम प्रिया ने बताया कि “जय श्रीराम नहीं, जय सियाराम हमारा नारा है। मिथिला की आत्मा जानकी में बसती है और उनके विकास का कोई ठोस प्लान है क्या? सीतामढ़ी में मां जानकी मंदिर के विकास को लेकर उन्होंने स्थानीय भावनाओं को छुआ और ये संकेत भी दिया कि उनकी राजनीति सिर्फ सत्ता की नहीं, संस्कृति और स्थानीय विकास की भी है।
प्रशांत किशोर पर तंज और सवाल
बदलाव की राजनीति पर जब सवाल उठा तो उन्होंने नाम लिए बिना प्रशांत किशोर पर निशाना साधा कि “बदलाव की बात हर कोई करता है, लेकिन क्रेडेंशियल्स क्या हैं? हमने 2020 में रास्ता दिखाया था और आज हर कोई उसी राह पर चल रहा है।”
2025 के लिए पूरी तैयारी, गठबंधन या अकेले—चुनाव तो पक्का
पुष्पम ने बताया कि “हम चुनाव लड़ेंगे, यह पक्का है। गठबंधन में लड़ें या अकेले, ये वक्त बताएगा।” अब बड़ा सवाल ये है—क्या वो महागठबंधन की ओर बढ़ेंगी या एनडीए से हाथ मिलाएंगी?
फिलहाल उन्होंने कोई नाम नहीं लिया, लेकिन इतना ज़रूर कहा कि “नफरत की राजनीति से हम दूर रहते हैं… जो विकास का ठोस खाका लेकर आएगा, उसके साथ ही चलेंगे।”