नई दिल्ली: कनाडा में आयोजित जी7 सम्मेलन से अचानक लौटते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के खिलाफ सख्त बयान दिया है। ट्रंप ने मांग की है कि ईरान को अपना परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह बंद करना होगा, और उन्होंने स्पष्ट किया कि “ईरान के पूर्ण समर्पण से कम कुछ भी मंजूर नहीं।” यह बयान ऐसे समय में आया है जब ईरान और इस्राइल के बीच तनाव अपने चरम पर है, और अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस क्षेत्र में शांति बहाली की कोशिशों में जुटा है।
ट्रंप ने कनाडा के कनानास्किस में आयोजित जी7 सम्मेलन से एक दिन पहले ही वाशिंगटन लौटने का फैसला किया। इस कदम को उनके पिछले 2018 के व्यवहार से जोड़ा जा रहा है, जब उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के साथ विवाद के बाद सम्मेलन छोड़ दिया था।
ट्रंप ने सोशल मीडिया पर लिखा, “ईरान के पास परमाणु हथियार नहीं हो सकता। मैंने यह बार-बार कहा है!” उन्होंने तेहरान से तत्काल निकासी की चेतावनी भी दी, जिससे क्षेत्र में तनाव और बढ़ गया है।
खबरों के अनुसार, ट्रंप का यह बयान इस्राइल के हालिया हमलों का समर्थन करता है, जिसमें ईरान के शीर्ष सैन्य अधिकारियों को निशाना बनाया गया था। इस्राइल ने ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों पर 2025 में हमले किए, जिसके बाद अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने ईरान पर उल्लंघन का आरोप लगाया।
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने इस बीच ईरान और इस्राइल के बीच युद्धविराम की पेशकश की है, लेकिन ट्रंप ने इसे खारिज करते हुए कहा कि वे कुछ “कहीं बड़ा” करने जा रहे हैं।
ईरान और इस्राइल के बीच तनाव 1979 की ईरानी क्रांति के बाद से चला आ रहा है, जब ईरान ने इस्राइल के साथ राजनयिक संबंध तोड़ लिए थे। 2015 का संयुक्त व्यापक कार्ययोजना समझौता (JCPOA) ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर अंकुश लगाने में सफल रहा था, लेकिन ट्रंप ने 2018 में अमेरिका को इस समझौते से हटा लिया, जिसके बाद ईरान ने फिर से यूरेनियम संवर्धन शुरू कर दिया। हाल के घटनाक्रम में इस्राइल के हमलों और IAEA की चेतावनियों ने स्थिति को और जटिल बना दिया है।
विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप का यह कदम इस्राइल के साथ उनके मजबूत गठबंधन को दर्शाता है, लेकिन यह जी7 के अन्य नेताओं के साथ मतभेद पैदा कर सकता है, जो शांति वार्ता पर जोर दे रहे हैं। मैक्रों की पहल और ट्रंप की मांग के बीच यह स्पष्ट है कि मध्य पूर्व में शांति बहाली के प्रयासों के लिए अभी लंबा रास्ता तय करना होगा।