नई दिल्ली : ईरान और इजरायल के बीच चल रहे तनावपूर्ण युद्ध को समाप्त करने में कतर ने अहम भूमिका निभाई है, जबकि अमेरिका की शुरुआती भागीदारी के बावजूद यह विकास चौंकाने वाला रहा। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर युद्धविराम की घोषणा की थी, लेकिन अंततः कतर ने मध्यस्थता कर इस समझौते को आगे बढ़ाया।
ट्रंप ने सोमवार को ट्रुथ सोशल पर पोस्ट कर “पूर्ण और स्थायी” युद्धविराम की घोषणा की थी, लेकिन आधिकारिक रूप से न तो ईरान और न ही इजरायल ने इसकी पुष्टि की। रिपोर्ट्स के मुताबिक, कतर के प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुल रहमान अल थानी ने तेहरान को अमेरिका की तरफ से प्रस्तावित युद्धविराम के लिए मनाया, जिसके बाद ईरान ने सहमति जताई।
यह विकास मध्य पूर्व में जटिल भू-राजनीतिक गतिशीलताओं को दर्शाता है, जहां छोटे राज्य भी बड़े संघर्षों को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। कतर, जो ईरान का प्रमुख सहयोगी और क्षेत्रीय विवादों में मध्यस्थता करने वाला देश रहा है, ने एक बार फिर अपनी कूटनीतिक क्षमता का प्रदर्शन किया है।
इस बीच, अमेरिका की भूमिका को लेकर सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि ट्रंप की शुरुआती घोषणा के बावजूद कतर ने अंतिम रूप से समझौते को अंजाम तक पहुंचाया। यह घटनाक्रम अमेरिका की मध्य पूर्व नीति और उसके प्रभाव को लेकर नई बहस को जन्म दे सकता है।
ईरान के विदेश मंत्री सैयद अब्बास अरघची ने कहा कि ईरान की सशक्त सशस्त्र बलों ने आखिरी क्षण तक इजरायल को सजा देने के लिए कार्रवाई जारी रखी, लेकिन युद्धविराम के बाद अब उम्मीद है कि आम लोगों की जान बचेगी और तबाही रुकेगी।
यह युद्धविराम दोनों देशों के बीच लगभग दो हफ्तों से चल रहे संघर्ष को समाप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जहां मिसाइल हमलों और जवाबी कार्रवाइयों से भारी नुकसान हुआ था। हालांकि, अभी तक इजरायल की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, और ईरान की ओर से भी स्पष्टता की कमी बनी हुई है।
कतर की मध्यस्थता ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि क्षेत्रीय शांति के लिए स्थानीय खिलाड़ियों की भूमिका अहम होती है, भले ही वैश्विक शक्तियां शुरुआत में आगे रहें। यह घटनाक्रम मध्य पूर्व में शक्ति संतुलन और कूटनीति के नए युग की शुरुआत का संकेत देता है।