पटना : लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने बिहार में एक कार्यक्रम के दौरान जातिगत जनगणना को लेकर महत्वपूर्ण बयान दिया। उन्होंने कहा, “मुझे नहीं लगता कि बीजेपी सही से जातिगत जनगणना करेगी, लेकिन मैं आपसे वादा करता हूं कि चाहे बीजेपी करे या न करे, मैं संसद में इसे पास करवाकर दिखाऊंगा।”
राहुल गांधी ने जोर देकर कहा कि उनका मकसद राजनीति नहीं, बल्कि देश की सच्चाई सामने लाना है। उन्होंने कहा, “मैं जातिगत जनगणना राजनीति के लिए नहीं कर रहा हूं, मैं अपने देश के लिए कर रहा हूं। सच्चाई के लिए कर रहा हूं।” उनका यह बयान देश में सामाजिक न्याय और आरक्षण की बहस को और गहरा कर सकता है।
जातिगत जनगणना लंबे समय से एक संवेदनशील मुद्दा रहा है। 2021 की दशकीय जनगणना में जातिगत जनगणना शामिल नहीं की गई थी, जिसे लेकर विपक्ष ने सरकार की आलोचना की है। कांग्रेस पार्टी ने इस मुद्दे पर लगातार दबाव बनाया है, और राहुल गांधी ने इसे अपनी प्राथमिकताओं में से एक बनाया है।
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर जातिगत जनगणना की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि बिना सही डेटा के सामाजिक न्याय और आरक्षण नीतियों का मूल्यांकन करना मुश्किल है।
बीजेपी ने जातिगत जनगणना को लेकर बदलते रुख अपनाया है। गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में कहा था कि बीजेपी जातिगत जनगणना के विचार का विरोध नहीं करती, लेकिन पार्टी ने अभी तक इस पर स्पष्ट नीति नहीं बनाई है। राहुल गांधी के बयान से साफ है कि कांग्रेस इस मुद्दे पर आक्रामक रुख अपनाएगी और इसे 2025 के चुनावी एजेंडे में शामिल करेगी।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जातिगत जनगणना का मुद्दा देश की सामाजिक-राजनीतिक गतिशीलता को बदल सकता है। एक विशेषज्ञ ने कहा, “जातिगत जनगणना से ओबीसी, एससी और एसटी समुदायों की सही आबादी का पता चलेगा, जो आरक्षण और संसाधनों के वितरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।”
राहुल गांधी का बयान जातिगत जनगणना को लेकर राजनीतिक लड़ाई को और तेज कर सकता है। यह मुद्दा न केवल सामाजिक न्याय से जुड़ा है, बल्कि आगामी चुनावों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। कांग्रेस की यह रणनीति बीजेपी को जवाब देने के लिए मजबूर करेगी, और इससे देश की राजनीतिक गतिशीलता में बदलाव आ सकता है।