नयी दिल्ली: इन दिनों सदन में बजट सत्र चल रही है इस पर चर्चा के दौरान नेता प्रतिपक्ष ने कुछ ऐसा कह दिया जिससे वित्त मंत्री सीता रमण को अपना सिर पकड़ते देखा गया. जी हां सदन में कांग्रेस नेता राहुल गाँधी ने अदिवासियों दलितों का मुद्दा उठाया और कहा कि देश में तकरीबन 73 प्रतिशत, दलित, आदिवासी और पिछड़े वर्ग के लोग हैं। ये देश की मुख्य शक्ति है। आगे उन्होंने यह कहा कि सच्चाई है कि इनको कहीं भी जगह नहीं मिल रही है, बिजनेस में जगह नहीं मिलती है, कॉरपोरेट में जगह नहीं मिलती है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि ये शिव जी के फोटो से डरते हैं, इस फोटो से डरते हैं। इसके बाद राहुल गाँधी ने सदन में हलवा सेरेमनी वाली फोटो का प्रदर्शन किया. राहुल गांधी ने कहा कि मैं एक फोटो दिखाना चाहता हूं, इसमें बजट का हलवा बंट रहा है, इसमें एक ओबीसी, आदिवासी, दलित अफसर नहीं दिख रहा है। ये लोग देश का हलुवा खा रहे है और बाकी लोगों को हलवा नहीं मिल रहा है। वहीँ राहुल की इस बात पर केंद्रीय वित्त मंत्री ने माथा पकड़ लिया। आगे राहुल ने कहा कि 20 अफसरों ने बजट को तैयार किया है , हमने पता लगाया। उन सभी के नाम मेरे पास हैं। इसके उपरांत राहुल के इस भाषण पर सदन में खूब हंगामा हुआ। आगे सदन में हमलावर होते हुए राहुल गांधी ने कहा कि देश का हलवा 20 लोगों ने बांटने का काम किया है 90 फीसदी लोगों में से सिर्फ दो है एक अल्पसंख्यक और एक ओबीसी और फोटो में तो आपने आने ही नहीं दिया।आगे नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि मैं चाहता था कि जाति जनगणना की बात उठे। 95 प्रतिशत ये चाहते हैं, दलित, आदिववासी, अल्पसंख्यक और गरीब सवर्ण चाहते हैं सभी जानना चाहते हैं कि उनकी हिस्सेदारी कितनी है। वहीँ राहुल गाँधी के इस बर्ताव पर लोकसभा स्पीकर ने आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि यह सदन के नियमों के खिलाफ है।
इधर राहुल गाँधी के इस बयान पर विभन्न नेताओं कि प्रतिक्रिया सामने आई है जिसमे सपा सांसद अवधेश प्रसाद ने कहा, “राहुल गांधी ने लोकसभा में अपना भाषण दिया है। वो भाषण उनका विचार था। वे अनुभवी नेता हैं, नेता प्रतिपक्ष हैं इसलिए उनके भाषण की आलोचना करना या उसमें कमी निकालना ठीक नहीं है। उन्होंने जो भी कहा है वो उनके विचार है, उनकी पार्टी के विचार हैं.
वहीँ भाजपा सांसद अनिल बलूनी ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा, “आज राहुल गांधी ने लोकसभा में अपने भाषण के दौरान संसद भवन में कैसा आचरण रहना चाहिए, किस तरह से बात करनी चाहिए उसे लेकर माफी मांगी है। उन्होंने अपने भाषण के दौरान कई ऐसी चीजें कही हैं जो संसदीय परंपराएं और नेता प्रतिपक्ष की गरिमा के अनुकूल नहीं है। उन्होंने कई बार अध्यक्ष पर भी सवाल उठाए हैं ये बड़ी दुख की बात है कि नेता प्रतिपक्ष ने अपने भाषण के दौरान बजट के बारे में कुछ नहीं कहा। मुझे ऐसा भी लगता है कि उन्होंने बजट के बारे में अध्ययन नहीं किया है. जिस प्रकार से उन्हें क्षमा मांगनी पड़ी, वो भी पूरे देश ने स्पष्ट रूप से देखा है।”
इसके बाद केंद्रीय मंत्री अश्विणी वैष्णव ने भी इस बात पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि राहुल गांधी एक संवैधानिक व्यवस्था में नेता प्रतिपक्ष होते हुए संसद में जिस तरह का व्यवहार करते हैं, जिस तरह की भाषा का उपयोग करते हैं बहुत ही दुख की बात है. यह संविधान को कमजोर करने वाले काम हैं. इसके पीछे एक पुराना इतिहास भी है। जब राहुल गांधी ने उन्हीं की सरकार द्वारा बनाए गए अध्यादेश को सभी के सामने फाड़कर फेंक दिया था। ऐसे में संविधान का पालन करने का उनका(राहुल गांधी) कोई इरादा मुझे नजर नहीं आता।”
इस घटना पर केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि लोकसभा का नेता प्रतिपक्ष होना एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है. ऐसे पद पर बैठकर गैरजिम्मेदाराना बात करना ठीक नहीं है. आज राहुल गांधी ने लोकसभा अध्यक्ष पर ही हमला करना शुरू कर दिया। बजट की चर्चा न करते हुए वे अनाप-शनाप बातें कर रहे थे। संसद में 140 करोड़ जनता के प्रतिनिधि बैठते हैं जिसकी कार्यवाही नियम से चलती है। राहुल गांधी को बार-बार याद दिलाया गया है कि उन्हें नियम के अनुसार बात करनी है. जब तक वे नेता प्रतिपक्ष नहीं थे तब तक ठीक था लेकिन उन्हें नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद नियम के अनुसार चलना चाहिए. राहुल गांधी ने अपने पद की गरिमा का भी ख्याल नहीं रखा। मैं उसका खंडन करना चाहता हूं. राहुल गांधी संविधान और परंपराओं से ऊपर नहीं हैं।”
राहुल गांधी के बयान पर छत्तीसगढ़ CM विष्णुदेव साय ने भी प्रतिक्रिया दी और कहा अब राहुल गांधी की बातों में कोई वजन नहीं रहा है। वे नेता प्रतिपक्ष हो गए। उसी ज़िम्मेदारी से उन्हें बात करनी चाहिए लेकिन वे नहीं करते। आज देश की जनता का विश्वास भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी पर है।”