कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को दलित नेता जगलाल चौधरी की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में “सिस्टमिक बहिष्कार” का आरोप लगाते हुए कहा कि भारत के सत्ता तंत्र, न्यायपालिका, शिक्षा, स्वास्थ्य और कॉरपोरेट जगत में दलित समुदाय की भागीदारी “नाममात्र” है। उन्होंने मीडिया पर भी सवाल उठाए और कहा, “सरकारी विज्ञापनों से चलने वाली मीडिया कंपनियों के मालिकाना हक में एक भी दलित नहीं!”
‘मीडिया और कॉरपोरेट इंडिया में दलितों के लिए जगह क्यों नहीं?’
राहुल गांधी ने अपने भाषण में गहरा सवाल उठाया
- मीडिया पर प्रहार: “सरकार विज्ञापनों के ज़रिए मीडिया को फंड करती है, लेकिन इन कंपनियों के बोर्डरूम में दलितों का नाम तक नहीं।”
- कॉरपोरेट जगत पर सवाल: “देश की टॉप 200 कंपनियों में एक भी दलित या ओबीसी मालिक नहीं। जीएसटी आप भरते हैं, अडानी भी भरता है, पर अधिकारों में बंटवारा क्यों नहीं?”
- ऋण माफी का मुद्दा: “मोदी सरकार ने 25 अमीरों के 16 लाख करोड़ रुपए माफ किए, लेकिन इस लिस्ट में एक भी दलित नहीं!”
‘इतिहास की किताबों में दलितों को सिर्फ 2 लाइनें क्यों?’
राहुल ने शिक्षा व्यवस्था पर भी निशाना साधा:
- ऐतिहासिक उपेक्षा: “मैंने किताबों में दलितों के बारे में सिर्फ ‘अछूत’ और ‘दलित’ शब्द पढ़े। क्या उनका कोई इतिहास नहीं? क्या दो लाइनों से उनका दर्द समझ आ जाएगा?”
- संस्थागत भेदभाव: “सत्ता के संस्थानों में दलितों को प्रतिनिधित्व दिखावटी है। असली फैसले लेने वाली कुर्सियों पर वे कहां हैं?”
‘शक्ति के केन्द्रों से दूर क्यों हैं दलित?’
राहुल ने सवाल उठाया कि देश की 16% दलित आबादी को सत्ता और अर्थव्यवस्था में “हाशिए पर” क्यों धकेला गया है:
- न्यायपालिका में असमानता: “हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में दलित जजों की संख्या उंगलियों पर गिनी जा सकती है।”
- स्वास्थ्य व शिक्षा में खाई: “दलित बस्तियों के स्कूलों में शिक्षक नहीं, अस्पतालों में डॉक्टर नहीं। यह व्यवस्था का विफल होना है।”
जगलाल चौधरी कौन थे?
जगलाल चौधरी बिहार के प्रसिद्ध दलित नेता और सामाजिक न्याय आंदोलन के प्रतीक थे। 1990 के दशक में उन्होंने दलित अधिकारों के लिए संघर्ष किया। राहुल ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा— “जगलाल जी का सपना अभी अधूरा है।”