नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है। इस हमले में 26 पर्यटकों की मौत हुई थी, जो भारत में 2008 के मुंबई हमले के बाद सबसे घातक आतंकी घटना मानी जा रही है।
इस बीच, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने हमले की कड़ी निंदा करते हुए कहा है, “पहलगाम में जिसने हमला किया है, उसे कीमत चुकानी होगी। पूरा विपक्ष इस मुश्किल घड़ी में सरकार के साथ खड़ा है।”
पहलगाम के बैसारन घाटी में हुए इस हमले में ज्यादातर हिंदू पुरुष पर्यटक निशाना बने थे। हमले की जिम्मेदारी द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली थी, जो लश्कर-ए-तैयबा का एक सहयोगी संगठन है। भारतीय सेना ने क्षेत्र में तालाबंदी लागू कर दी है और पांच आतंकियों की तलाश में हेलीकॉप्टरों की मदद से सघन अभियान चलाया जा रहा है।
इस हमले ने भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है। भारत ने जवाबी कार्रवाई में सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया है और अटारी-वाघा सीमा को बंद कर दिया है। पाकिस्तान ने हमले में किसी भी तरह की संलिप्तता से इनकार किया है और कहा है कि वह केवल कश्मीरियों को “कूटनीतिक और नैतिक समर्थन” देता है।
राहुल गांधी के इस बयान को कांग्रेस पार्टी की आधिकारिक रुख के तौर पर देखा जा रहा है। पार्टी ने अपने नेताओं को निर्देश दिया है कि वे पहलगाम हमले पर पार्टी लाइन से हटकर कोई बयान न दें। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी इस मुद्दे पर एकजुटता दिखाते हुए सरकार को समर्थन देने की बात कही है।
इस बीच, भारतीय सेना और खुफिया एजेंसियों ने हमले के तार पाकिस्तान से जुड़े होने का दावा किया है। जांच में पता चला है कि हमले में शामिल एक आतंकी, हाशिम मूसा, पाकिस्तानी सेना के पैरा कमांडो रह चुका है और बाद में लश्कर-ए-तैयबा में शामिल हो गया था। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने हमलावरों की जानकारी देने वालों के लिए 60 लाख रुपये के इनाम की घोषणा की है।
पहलगाम हमले ने न केवल सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि भारत-पाकिस्तान संबंधों को भी तनावपूर्ण बना दिया है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की है, लेकिन भारत ने साफ कर दिया है कि वह आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाएगा l