महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे ने एक बार फिर अपने बेबाक बयानों से सियासी हलचल मचा दी है। औरंगजेब की कब्र को लेकर चल रहे विवाद और कथित सांप्रदायिक तनाव भड़काने की कोशिशों पर उन्होंने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। ठाकरे ने साफ कहा कि इतिहास को धर्म और जाति के नजरिए से देखना गलत है और लोगों को व्हाट्सऐप पर आने वाले संदेशों पर आंख मूंदकर भरोसा नहीं करना चाहिए।
शिवाजी और औरंगजेब का जिक्र, सियासी संदेश भी दिया
राज ठाकरे ने अपने भाषण में छत्रपति शिवाजी महाराज और मुगल शासक औरंगजेब का संदर्भ देते हुए कहा कि मुगलों की मंशा शिवाजी के विचार को मिटाने की थी, लेकिन वे इसमें नाकाम रहे। उन्होंने ऐतिहासिक उदाहरण देते हुए बताया कि बीजापुर के सेनापति अफजल खान को प्रतापगढ़ किले के पास दफनाया गया था, और यह शिवाजी महाराज की अनुमति के बिना संभव नहीं था।
राज ठाकरे ने लोगों से भावनाओं में बहकर भड़काऊ राजनीति का हिस्सा न बनने की अपील की और कहा कि आज की सामाजिक-राजनीतिक परिस्थितियों को इतिहास से अलग करके देखना चाहिए।
“फिल्मों से जागने वाले हिंदू किसी काम के नहीं”
अपने तीखे और बेबाक अंदाज में ठाकरे ने उन हिंदुओं पर भी निशाना साधा, जो फिल्मों को देखकर जागरूक होने का दावा करते हैं। उन्होंने सवाल उठाया, “क्या आपको विक्की कौशल को देखकर संभाजी महाराज के बलिदान के बारे में पता चला? क्या अक्षय खन्ना को देखकर औरंगजेब के बारे में समझ आया?” उन्होंने यह स्पष्ट किया कि इतिहास को पढ़ना और समझना जरूरी है, न कि महज सिनेमा के आधार पर प्रतिक्रिया देना।
औरंगजेब की कब्र पर विवाद: क्या हो अगला कदम?
औरंगजेब की कब्र हटाने की मांगों पर ठाकरे ने व्यंग्यात्मक अंदाज में कहा कि “कब्र पर एक बोर्ड टांग देना चाहिए, जिस पर लिखा हो – ‘हमने इस राजा को मारा।’” उन्होंने यह भी जोड़ा कि ऐतिहासिक घटनाओं को उनके उचित संदर्भ में समझा जाना चाहिए, न कि उन्हें सांप्रदायिक विवाद का मुद्दा बनाकर समाज में जहर घोलने के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
राज ठाकरे केवल सांप्रदायिक राजनीति पर ही नहीं, बल्कि भाजपा सरकार पर भी हमलावर दिखे। उन्होंने वादे पूरे न करने के लिए भाजपा की अगुवाई वाली सरकार पर सवाल उठाए और इशारों-इशारों में उन्हें भी कटघरे में खड़ा कर दिया।
राज ठाकरे ने हिंदू समाज की विडंबना पर भी टिप्पणी की और कहा, “धर्म आपके घर की चार दीवारों के भीतर होना चाहिए। हिंदू तब तक हिंदू नहीं रहता, जब तक मुसलमान दंगों में सड़कों पर नहीं आ जाते। बाकी समय हिंदू जातियों में बंटा रहता है।”