Raja Pakar Vidhan Sabha 2025: बिहार की राजनीति में वैशाली जिले की राजा पाकर विधानसभा सीट (Raja Pakar Vidhan Sabha Seat) का महत्व लगातार बढ़ता जा रहा है। निर्वाचन क्षेत्र संख्या 127, 2008 के परिसीमन के बाद अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित हुआ और तब से यहां अब तक केवल तीन बार चुनाव हुए हैं। दिलचस्प यह है कि हर चुनाव में यहां सत्ता बदलती रही है। कभी जेडीयू, कभी आरजेडी और पिछली बार कांग्रेस ने जीत दर्ज कर इस सीट को सियासी हलकों में चर्चा का केंद्र बना दिया।
चुनावी इतिहास
साल 2010 में जेडीयू के संजय कुमार ने लोजपा के गौरीशंकर पासवान को हराकर यह सीट अपने नाम की थी। पांच साल बाद 2015 में जब जेडीयू और आरजेडी का गठबंधन हुआ तो यह सीट आरजेडी के खाते में गई और शिवचंद्र राम ने लोजपा उम्मीदवार रामनाथ रमन को 15 हजार से अधिक वोटों से मात दी। 2020 के चुनाव में समीकरण फिर बदले। एनडीए से जेडीयू ने महेंद्र राम को मैदान में उतारा, जबकि महागठबंधन ने कांग्रेस प्रत्याशी प्रतिमा कुमारी पर दांव लगाया। इस चुनाव में कांग्रेस को अप्रत्याशित जीत मिली और प्रतिमा कुमारी ने विधानसभा पहुंचकर सीट को नया राजनीतिक मोड़ दिया।
जातीय समीकरण
राजा पाकर सीट की खासियत यह है कि यहां जातीय गणित निर्णायक भूमिका निभाता है। यह क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है और यहां पासवान और रविदास जातियों की संख्या सबसे प्रभावी है। हालांकि, सुरक्षित सीट होने के बावजूद यहां राजपूत वोटरों की भी अच्छी खासी मौजूदगी है, जो चुनावी नतीजों पर असर डालती है। यह क्षेत्र हाजीपुर (SC) लोकसभा के अंतर्गत आता है, इसलिए लोकसभा स्तर की सियासत भी विधानसभा चुनावों पर सीधा प्रभाव डालती है।
Hajipur Vidhan Sabha election 2025: भाजपा का गढ़ या बदलता जनादेश?
2011 की जनगणना के अनुसार यहां की कुल आबादी लगभग 3.73 लाख है और यह पूरी तरह ग्रामीण इलाका है। इसमें से लगभग 22.41% आबादी अनुसूचित जाति की है। यही कारण है कि सभी दल यहां एससी वोट बैंक को साधने की रणनीति बनाते हैं।
2025 के चुनाव में कांग्रेस के लिए अपनी सीट बचाना बड़ी चुनौती होगी, जबकि जेडीयू और आरजेडी फिर से वापसी की कोशिश करेंगे। दूसरी ओर, लोजपा (LJP) भी इस क्षेत्र में अपना प्रभाव जमाने के लिए पूरी ताकत झोंक सकती है। साफ है कि इस बार का चुनाव जातीय समीकरण और महागठबंधन बनाम एनडीए की टक्कर को और भी दिलचस्प बना देगा।






















