दिल्ली के रामलीला मैदान में कांग्रेस की ‘वोट चोरी’ के खिलाफ आयोजित रैली (Vote Chori Rally) ने सियासी तापमान जरूर बढ़ाया, लेकिन इस मुद्दे पर राष्ट्रीय लोक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सांसद उपेंद्र कुशवाहा ने कांग्रेस की रणनीति पर सीधा सवाल खड़ा कर दिया है. कुशवाहा ने दो टूक कहा कि वोट चोरी जैसा कोई मसला है ही नहीं और कांग्रेस बेवजह जनता को भ्रमित करने की कोशिश कर रही है. उनके मुताबिक चुनावी हार से उबरने में नाकाम कांग्रेस अब ऐसे मुद्दों को हवा देकर अपनी राजनीतिक विफलताओं को छिपाना चाहती है.
उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि कांग्रेस को अब भी यह समझ नहीं आ रहा है कि बिहार की जनता अपना फैसला सुना चुकी है. उन्होंने तीखे शब्दों में कहा कि बिहार में कांग्रेस को जनता ने पूरी तरह नकार दिया और उसके बाद भी उसी मुद्दे को बार-बार उठाना राजनीतिक समझदारी का परिचायक नहीं है. कुशवाहा के बयान में यह संकेत साफ दिखता है कि विपक्षी दलों की ओर से उठाया जा रहा ‘वोट चोरी’ का सवाल सत्ता पक्ष और सहयोगी दलों की नजर में केवल चुनावी हार का बहाना भर है.
राजनीतिक बयानबाजी के बीच उपेंद्र कुशवाहा ने बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी द्वारा लालू प्रसाद यादव की संपत्ति को लेकर दिए गए बयान पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि यह कोई नया या व्यक्तिगत फैसला नहीं है, बल्कि नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री बनने के साथ ही भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई गई थी. उसी नीति के तहत यह तय किया गया था कि गलत तरीकों से अर्जित संपत्तियों को सरकार अपने कब्जे में लेगी और उनका इस्तेमाल स्कूल, अस्पताल और जनकल्याण से जुड़े कार्यों में किया जाएगा. कुशवाहा के इस बयान ने यह साफ कर दिया कि भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई को राजनीतिक बदले की कार्रवाई के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए.
दरअसल, कांग्रेस लगातार चुनावों में बीजेपी पर वोट चोरी का आरोप लगाती रही है और राहुल गांधी इस मुद्दे को कई मंचों से उठा चुके हैं. इसी अभियान को तेज करने के लिए कांग्रेस ने 14 दिसंबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में बड़ी रैली आयोजित की. इस रैली में पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की मौजूदगी ने इसे राष्ट्रीय स्तर का राजनीतिक संदेश देने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है.
रैली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ-साथ प्रियंका गांधी वाड्रा, के.सी. वेणुगोपाल, जयराम रमेश और सचिन पायलट जैसे वरिष्ठ नेता शामिल हुए. देश के अलग-अलग राज्यों से जुटे कार्यकर्ताओं के जरिए कांग्रेस ने यह दिखाने का प्रयास किया कि ‘वोट चोरी’ का मुद्दा केवल एक राज्य तक सीमित नहीं, बल्कि राष्ट्रीय बहस का विषय है. हालांकि उपेंद्र कुशवाहा के बयान ने कांग्रेस के इस नैरेटिव को चुनौती दी है. उनका कहना है कि चुनावी हार को स्वीकार करने के बजाय कांग्रेस ऐसे मुद्दों को उछाल रही है जिनका जमीनी हकीकत से कोई लेना-देना नहीं है.






















