[Team insider] हाईकोर्ट में मोरहाबादी के फुटपाथ दुकानदारों के मामले की सुनवाई गुरुवार को हुई। हाइकोर्ट ने एक सप्ताह के अंदर मोरहाबादी में पुनर्वास की व्यवस्था करने का आदेश नगर निगम को दिया। इसके साथ ही अदालत ने प्रार्थियों को यह निर्देश दिया है कि जिन दुकानदारों को निगम दूसरी जगह व्यवस्थित कर रहा है, उसमें किसी तरह की अपत्ति नहीं करें। प्रार्थियों की ओर से हाईकोर्ट की अधिवक्ता रितु कुमार एवं देवर्शी मण्डल ने पक्ष रखा, जबकि नगर निगम की तरफ से शैलेंद्र सिंह अदालत के समक्ष उपस्थित हुए। मामले की सुनवाई हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस राजेश शंकर की अदालत में हुई। वहीं अगली सुनवाई के लिए 12 अप्रैल को होगी।
मोरहाबादी दुकान संचालकों की ओर से की गयी है याचिका दायर
मामले में मोरहाबादी दुकान संचालकों की ओर से याचिका दायर की गयी है। जिसमें कहा गया है कि बिना किसी पूर्व सूचना के ठेला खोमचा वालों को क्षेत्र से हटाया गया है। जो उनकी आजीविका का मुख्य साधन है। अदालत से आग्रह किया गया है कि जब तक उन लोगों के लिए अस्थाई दुकानों की व्यवस्था नहीं होती तब तक उन्हें वहां दुकान लगाने की अनुमति दी जाये।
27 जनवरी को मोरहाबादी में हुआ था गैंगवार
गौरतलब है कि बीते 27 जनवरी को मोरहाबादी में गैंगवार हुआ था। जिसमें एक अपराधी की मौत हो गयी थी। जिसके बाद 28 जनवरी को शाम 6 बजे जिला प्रशासन ने मोरहाबादी में निषेधाज्ञा लगा दी, साथ ही पूरे इलाके में धारा 144 लागू कर दिया गया था। मोरहाबादी में गुमटी, ठेला, खोमचा लगाने वालों को वहां से अपनी दुकानों को हटाने का आदेश जारी कर दिया। जिस कारण वहां के दुकानदारों को रोजी- रोटी की समस्या उत्पन्न हो गयी।
जिसके विरोध में दुकानदारों ने लगातार 14 दिनों तक आंदोलन किया था। जिसके बाद रांची नगर निगम ने वैकल्पिक जगह देकर आंदोलन को खत्म कराया। दुकानदारों के लिए नगर निगम ने जेसीबी लगाकर साफ सफाई करायी। परंतु इसके बाद नगर निगम जगह देने की बात से मुकर गया।