झारखंड अधिवक्ता मंच, केंद्रीय कमेटी के तत्वधान में 10 दिसंबर अंतरराष्ट्रीय मानव अधिकार दिवस के उपलक्ष में मानव अधिकार दिवस पर एक विशेष चर्चा की गई। इस अवसर पर झारखंड हाई कोर्ट के अधिवक्ता योगेंद्र प्रसाद ने कहा कि मानव को उसके स्थानीय भाषा में न्याय प्राप्त करने का अधिकार भी मानव अधिकार है और इसी दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए ब्रिटिश काल से ही लेकर आज तक आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 272 का समावेश किया गया, जो न्यायालय की भाषा के संदर्भ में समर्पित है। आरोपी, पीड़ित, साक्ष्यों की भाषा में ही गवाही होने से सत्य न्याय के पटल तक पहुंच पाएगी और लोगों को पर्याप्त न्याय सुलभ हो पाएगा जो कि भारतीय संदर्भ में समय की आवश्यकता है।
मानव को गरिमा के साथ जीने का अधिकार
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे हैं झारखंड अधिवक्ता मंच के अध्यक्ष रविंद्र कुमार ने कहा कि मानव को गरिमा के साथ जीने का अधिकार मानवाधिकार का प्रथम अधिकार है। इस अवसर पर अधिवक्ता, रोहन ठाकुर, अनूप कुमार, जाहिद हुसैन, प्रशांत कुमार कुशवाहा, पवन कुमार साहू, रेजिस रूंडा आदि प्रमुख वचन अपनी बातों को रखा।