[Team insider] भाकपा माओवादी संगठन के 25 लाख के ईनामी, सेंट्रल कमिटी सदस्य उमेश यादव उर्फ विमल यादव उर्फ राधेश्याम यादव झारखंड पुलिस और सीआरपीएफ के पदाधिकारियों के समक्ष शुक्रवार को आत्मसमर्पण कर दिया। झारखंड सरकार के आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर उमेश यादव ने ऐसा कदम उठाया। विमल यादव पर पलामू, गढ़वा, लातेहार, गुमला, लोहरदगा समेत छत्तीसगढ़ और बिहार में दर्जनों नक्सल हमले के मामले दर्ज हैं। मूल रूप से बिहार के जहानाबाद जिले का रहने वाला है जो अरविंद की मौत के बाद से नेतृत्व संभाल रहा था।
बूढ़ा पहाड़ के इलाके में विमल का था बड़ा कद

माओवादियों के लिए सबसे सुरक्षित जगह माने जाने वाला बूढ़ा पहाड़ के इलाके में विमल का बड़ा कद माना जाता था। वह बीते कई सालों से माओवादियों के लिए बूढ़ापहाड़ के इलाके में सक्रिय था। मिली जानकारी के अनुसार विमल यादव के पास एके-47 राइफल भी था। संगठन छोड़ने से पहले विमल अपने साथ एके-47 राइफल भी ले आया था। अनुमान लगाया जा रहा है कि हथियार के साथ नक्सली विमल का आत्मसमर्पण होगा।
भेदभाव की वजह से विमल यादव चल रहा नाराज
जानकारी के अनुसार संगठन में हो रहे भेदभाव की वजह से विमल यादव नाराज चल रहा था। भाकपा माओवादियों के बिहार में कार्यरत सेंट्रल कमेटी मेंबर प्रमोद मिश्रा, मिथिलेश महतो की गतिविधियां सीमावर्ती इलाकों में रही हैं। मिथिलेश के बूढ़ा पहाड़ आने के बाद से विमल यादव के दस्ते के साथ भेदभाव किया जा रहा था। इसी वजह से नाराज विमल यादव संगठन से खुद को अलग करने का फैसला किया।
कोल्हान इलाके के बाद दूसरा बड़ा झटका
माओवादियों को कोल्हान इलाके के बाद दूसरा बड़ा झटका बूढ़ा पहाड़ के इलाके में मिला है। जोनल कमांडर महाराज प्रमाणिक के बाद स्पेशल एरिया कमेटी सदस्य(सैक) उमेश यादव उर्फ विमल उर्फ राधेश्याम यादव ने समर्पण कर दी। सरेंडर के बाद विमल से गुप्त ठिकाने पर रखकर पूछताछ की जा रही है। वही राज्य पुलिस में बड़े स्तर पर समर्पण की योजना पर काम में जुटी है। महाराज प्रमाणिक, बैलून सरदार के साथ ही तकरीबन आधा दर्जन लोग माओवादी संगठन से अलग हुए थे।