[Team insider] कोरोना काल के दौरान जान जोखिम में डाल काम करने के बावजूद भी हम अपने ही पैसे के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। यह कहते हुए उज्जवल की आंखें डबडबा जाती है। कहते है कि पिछले तीन महीने से वेतन का भुगतान नहीं हुआ है और कार्यालय का चक्कर लगा कर थक चुके हैं। गौरतलब है कि कोरोना महामारी के वक्त(VLE) कोविड टेस्टिंग समेत अन्य कामों के लिए आउटसोर्सिंग पर लिए गए कर्मचारी जिला प्रशासन के आदेश पर बहाल किए गए थे। 250 लोगों की बहाली रांची सदर अस्पताल में हुई थी।
कोविड स्टेटिक बूथ पर तैनात किए गए थे ये सभी कर्मी
ये सभी कर्मी रांची-हटिया रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट, बस स्टैंड समेत कोविड स्टेटिक बूथ पर तैनात किए गए थे। शुरुआत के महीने में वेतन मिला, लेकिन जैसे ही महामारी खत्म हुई इन्हें काम से हटा दिया गया, वो भी बिना पैसे के भुगतान किए। दरअसल इन्हें 400 रुपया प्रतिदिन(12000) रुपए प्रतिमाह भुगतान की बात कहकर काम पर रखा गया था। 35 कर्मचारी वैसे है जिन्हें 6 महीने से वेतन का भुगतान नहीं किया गया है। जबकि 215 के करीब कर्मचारीयों को तीन महीने से वेतन नहीं मिला है। इनके बकाए मद की राशि 95.12 लाख रुपए है।
कार्यालय का चक्कर लगा कर हार चुके है हम सभी
कोरोना काल के दौरान काम करने वाले कर्मचारियों ने कहा कि महामारी के समय जब लोग अपने घरों में कैद थे उस वक्त हमलोगों ने फ्रंट लाइन पर रहकर काम किया है। आज अपने हक के पैसे के लिए अधिकारियों के दफ्तर का चक्कर काट रहे हैं। जैसे की हम अधिकारियों से भीख मांग रहे हो।
वहीं खुशबू लकड़ा ने कहा कि हमलोग बकाए वेतन की मांग को लेकर स्वास्थ्य मंत्री का दरवाजा खटखटा चुके है। दो दिन में पैसा देने की बात कहकर हमलोग को वापस भेज दिया गया था। आज महीनों गुजर गए, लेकिन पैसा मिला नहीं। खुशबू ने कहा कि बाहर से आकर काम करने वाले लोगों को सबसे ज्यादा परेशानी हो रही है। खाने तक का पैसा नहीं है। उधार लेकर सभी लोग काम चला रहे हैं।
दीपिका कच्छप भी कुछ ऐसी ही समस्या से गुजर रही है। दीपिका ने कहा कि वेतन नहीं मिलने के कारण मकान का किराया नहीं दे पायी हूँ। मकान मालिक ने घर खाली करवा दिया। अब रहना भी मेरे लिए चुनौती बन गयी है।
वहीं इस मामले पर सिविल सर्जन रांची डॉ विनोद कुमार ने कहा कि डीसी ऑफिस से आवंटन आएगा तभी वेतन का भुगतान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि ये सभी कर्मचारी कोविड के वक्त काम पर लगाए थे। इनकी मांग है कि वेतन दिया जाए और ये सभी वेतन भुगतान का तय समय मांग रहे हैं जो कि मुश्किल है।