पटना का डाक बंगला चौराहा राजधानी क्षेत्र के हृदय स्थली के रूप में जाना जाता है। यह पटना के मध्य में स्थित है और पूर्वी और पश्चिमी पटना को जोड़ता है। बेली रोड और फ्रेजर रोड के केंद्र में स्थिति यह चौराहा शहर का सबसे व्यस्त चौराहा है। लेकिन इस चौराहे का वास्तविक नाम डाक बंगला चौराहा नहीं है बल्कि कुछ और है।
बता दें कि डाक बंगला चौराहा का असली नाम कुछ और है। लेकिन अब यहां के वासी लगभग इस नाम को भूल चुके हैं। चौराहा के दक्षिण पश्चिम कोने के पास एक बोर्ड है, जिस पर चौराहे का वास्तविक नाम ‘कवि गुरु रविंद्र चौक’ लिखा हुआ है। दरअसल इस चौक की कहानी 131 साल पुरानी है। आज चौराहे के दक्षिण पश्चिम कोने पर बहु मंजिला लोकनायक जयप्रकाश नारायण भवन है, वहां कभी बांकीपुर डाक बंगला हुआ करता था।
आजादी के पहले, बिहार विभाजन से भी पहले बांकीपुर गांव हुआ करता था। बिहार के बंगाल से अलग होने के बाद 1912 में पटना ने जब राजधानी के रूप में विकास किया तब बांकीपुर राजधानी क्षेत्र का एक हिस्सा भर रह गया। पटना विश्वविद्यालय के इतिहास के प्राध्यापक मयानंद बताते हैं कि स्वतंत्रता पूर्व जब बिहार और ओडिशा बंगाल प्रोविंस का हिस्सा हुआ करते थे, उसे समय 1893 में यही डाक बंगला का निर्माण किया गया था। इसी के बाद इसका नाम डाक बंगला चौराहा हो गया।
जेपी आंदोलन के समय इस चौराहे के आसपास छात्र नेताओं से लेकर राजनीति के दिग्गजों की बैठक होती रहती थी। हालांकि, 1984 में इसे तोड़कर 6 मंजिला व्यवसायिक परिसर बनाया गया। इस भवन में निजी क्षेत्र की कई बड़ी कंपनियों का व्यवसायिक परिसर है। इसी दौरान इसका नाम कवि गुरु रविंद्र चौक पड़ा था।