नई दिल्ली : दिल्ली सरकार ने आपातकाल (1975-1977) के दौरान जेल जाने वाले लोकतंत्र सेनानियों को पेंशन देने की योजना बनाई है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने मंगलवार को 1984 के सिख विरोधी दंगों में मारे गए लोगों के आश्रितों को सरकारी नौकरी के नियुक्ति पत्र बांटने के एक कार्यक्रम में इसकी घोषणा की। उन्होंने कहा कि पूर्व की सरकारों ने इन सेनानियों को सम्मान नहीं दिया, लेकिन अब भाजपा सरकार दिल्ली में भी इन्हें सम्मान निधि देने के लिए प्रतिबद्ध है।
लोकतंत्र सेनानी संघ, जो 2014 में गठित हुआ था, लंबे समय से इसकी मांग कर रहा है। संघ के महामंत्री राजकुमार सपरा ने बताया कि वर्तमान में देश के 12 राज्यों में आपातकाल के दौरान जेल गए सेनानियों को सम्मान निधि दी जा रही है। अब दिल्ली में भी इसकी उम्मीद जगी है। सपरा ने कहा, “हमने पूर्व सरकारों और वर्तमान सरकार के सामने यह प्रस्ताव रखा है। हमें उम्मीद है कि जल्द ही सकारात्मक फैसला होगा।”
भाजपा शासित कई राज्यों में लोकतंत्र सेनानियों को पहले से ही पेंशन दी जा रही है। ओडिशा में इस साल जनवरी में 20,000 रुपये प्रतिमाह देने की घोषणा हुई। राजस्थान और छत्तीसगढ़ ने मार्च में विधानसभा में मीसा बंदियों के लिए पेंशन विधेयक पारित किया। हरियाणा ने फरवरी में पेंशन राशि बढ़ाकर 20,000 रुपये प्रतिमाह कर दी। इसके अलावा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार में भी यह योजना लागू है। मध्य प्रदेश में तो छह महीने से अधिक जेल में रहे सेनानियों को 30,000 रुपये प्रतिमाह दिए जाते हैं, जबकि एक महीने से कम समय के लिए जेल गए लोगों को 10,000 रुपये मिलते हैं।
1975 से 1977 के बीच तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल लागू किया था, जिसे भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में एक काला अध्याय माना जाता है। इस दौरान नागरिक स्वतंत्रता, प्रेस की आजादी पर पाबंदी और हजारों लोगों की गिरफ्तारी हुई थी। कई लोग मेन्टेनेंस ऑफ इंटरनल सिक्योरिटी एक्ट (MISA) के तहत जेल गए। हाल के वर्षों में भाजपा ने आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर इसे “संविधान हत्या दिवस” (25 जून) के रूप में मनाने की घोषणा की है और कांग्रेस के खिलाफ इस मुद्दे को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया है।
दिल्ली में यह कदम न केवल उन लोगों को सम्मान देने का प्रयास है, जिन्होंने लोकतंत्र की रक्षा के लिए संघर्ष किया, बल्कि इसे भाजपा की व्यापक रणनीति के हिस्से के रूप में भी देखा जा रहा है। हालांकि, विपक्ष का कहना है कि यह कदम राजनीति से प्रेरित है और मौजूदा सरकार पर “अघोषित आपातकाल” लागू करने का आरोप लगाया है।
लोकतंत्र सेनानी संघ ने कहा कि दिल्ली में भी अन्य राज्यों की तर्ज पर पेंशन योजना लागू होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि भाजपा ने 2024 के दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान इस वादे को अपने घोषणापत्र में शामिल किया था। अब सरकार बनने के बाद इस दिशा में तेजी से कदम उठाए जा रहे हैं।
यह कदम उन लोगों के लिए एक राहत की खबर है, जिन्होंने आपातकाल के दौरान कठिनाइयों का सामना किया। साथ ही, यह योजना अन्य राज्यों के लिए भी एक मिसाल कायम कर सकती है।