डॉ. भीमराव आंबेडकर की जयंती के मौके पर हम (हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा) के संरक्षक और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने ऐसा बयान दिया जिसने बिहार की राजनीति में नई बहस की चिंगारी सुलगा दी। मांझी ने कहा कि “जैसे स्नातक और शिक्षक प्रतिनिधियों के लिए विधान परिषद में सीटें आरक्षित हैं, वैसे ही अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए भी राज्यसभा और विधान परिषद में आरक्षित सीटें होनी चाहिए। इन सीटों पर *वोटर भी सिर्फ उसी वर्ग से होने चाहिए और उम्मीदवार भी।”
“कांग्रेस ने दलितों को शिक्षा से वंचित रखा”
मांझी ने सीधे-सीधे कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि “देश की साक्षरता दर भले 80% हो, लेकिन अनुसूचित जाति की साक्षरता अब भी 30% के करीब है। कांग्रेस ने 60 सालों में दलितों की शिक्षा के लिए कोई ठोस काम नहीं किया।” उन्होंने कहा कि बाबा साहेब को भारत रत्न भी 1990 में वी.पी. सिंह की सरकार ने दिया, कांग्रेस ने तो हमेशा उन्हें नजरअंदाज किया।
“राजद और कांग्रेस को नहीं है बाबा साहेब की बात करने का हक”
मांझी यहीं नहीं रुके। उन्होंने कहा कि “राजद और कांग्रेस बाबा साहेब का नाम तो लेते हैं, लेकिन उनके विचारों के खिलाफ काम करते हैं। ऐसे लोगों को *आंबेडकर जयंती मनाने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।”
दलित सेवा दल (DSD): नया सामाजिक फ्रंट
हम पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष कुमार सुमन ने इस मौके पर ‘दलित सेवा दल (DSD)’ की घोषणा की। उन्होंने कहा कि “यह संगठन हम पार्टी का सामाजिक विस्तार होगा, जिसके जरिए गरीब, वंचित और पिछड़े तबकों की मदद की जाएगी। यह दल सिर्फ राजनीति नहीं, जमीनी सेवा करेगा।”