नई दिल्ली : भारत द्वारा पाकिस्तानी हिमालयन पिंक सॉल्ट (सेंधा नमक) के आयात पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद पाकिस्तान का नमक कारोबार गहरे संकट में फंस गया है। 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले, जिसमें 26 लोगों की जान गई, के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ सभी व्यापारिक संबंध तोड़ दिए। इस फैसले ने पाकिस्तानी नमक व्यापारियों की कमर तोड़ दी, जो भारत जैसे बड़े बाजार पर निर्भर थे।
भारत में कीमतों में 40-60% का उछाल
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में स्थित खेवड़ा की सेंधा नमक खदान, जो दुनिया की सबसे बड़ी खदानों में से एक है, से सालाना लाखों टन नमक का उत्पादन होता है। 2024 में पाकिस्तान ने 3.5 लाख टन नमक का निर्यात किया, जिसकी कीमत करीब 12 करोड़ डॉलर थी, जिसमें भारत सबसे बड़ा खरीदार था। बैन के बाद भारत में सेंधा नमक की कीमत 45-50 रुपये प्रति किलो से बढ़कर 70-80 रुपये हो गई है। हालांकि, पाकिस्तानी कारोबारियों को इस उछाल से कोई राहत नहीं मिल रही है।
चीन की ओर बढ़ते कदम, लेकिन मुनाफा कम
पाकिस्तान ने अब अपने नमक निर्यात को चीन की ओर मोड़ दिया है। 2025 की पहली तिमाही में चीन को 13.64 करोड़ किलो नमक निर्यात किया गया, जिसकी कीमत 18.3 लाख डॉलर रही—यह पिछले साल की तुलना में 40% अधिक है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि चीन का बाजार अस्थायी साबित हो सकता है, क्योंकि वह खुद नमक उत्पादन में आत्मनिर्भर है और भारत जितना स्थायी मुनाफा देने में सक्षम नहीं है।
वैश्विक बाजारों की ओर नजर
पाकिस्तान अब अमेरिका, वियतनाम, मलेशिया, ऑस्ट्रेलिया, तुर्की, इटली, ब्रिटेन, जापान और रूस जैसे देशों में नमक निर्यात की कोशिश कर रहा है। लेकिन अलग-अलग व्यापारिक नियम, टैक्स और सख्त टेस्टिंग मानक इस राह को मुश्किल बना रहे हैं। पाकिस्तान नमक विनिर्माता संघ की अध्यक्ष साइमा अख्तर ने कहा, “भारत का बाजार खोना हमारे लिए बड़ा झटका है। भारत की विशाल जनसंख्या और त्योहारों में सेंधा नमक की मांग हमारी स्थायी आय का स्रोत थी, जो अब खत्म हो चुकी है।”
आर्थिक विशेषज्ञों की राय
आर्थिक विश्लेषकों का कहना है कि पाकिस्तान की बढ़ती निर्भरता चीन पर, खासकर बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के तहत लिए गए कर्जों पर, इस संकट को और गहरा सकती है। फर्स्टपोस्ट (2024) की एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन के साथ मजबूत होते व्यापारिक रिश्ते पाकिस्तान की संप्रभुता के लिए खतरा बन सकते हैं, और नमक व्यापार की हानि इस स्थिति को और जटिल बना रही है।