बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की ऐतिहासिक जीत और महागठबंधन की करारी हार के बाद अब राष्ट्रीय जनता दल (RJD Bihar Election Review) गहन आत्ममंथन में जुट गया है। पार्टी ने उन 119 सीटों पर हार की वजहों को समझने के लिए बड़े पैमाने पर समीक्षा प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह समीक्षा चुनावी रणनीति, बूथ प्रबंधन, सहयोगी दलों की भूमिका और संगठन की सक्रियता जैसे कई स्तरों पर केंद्रित है, जिससे यह संकेत मिलता है कि RJD आने वाले दिनों में अपने ढांचे और रणनीति में व्यापक सुधार कर सकती है।
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26 नवंबर से 4 दिसंबर तक पटना स्थित RJD कार्यालय में प्रमंडलवार बैठकों का सिलसिला चल रहा है। पहले दिन मगध प्रमंडल के प्रत्याशियों को बुलाया गया, जहां नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कार्यकर्ताओं, क्षेत्रीय नेताओं और स्थानीय प्रतिनिधियों से हार के वास्तविक कारणों पर विस्तृत फीडबैक लिया। तेजस्वी ने क्षेत्रवासियों के साथ भी मुलाकात की और जमीनी रिपोर्ट समझने की कोशिश की।

लेकिन बैठक में सबसे ज्यादा चर्चा उस चेहरे की गैरमौजूदगी की रही जो लंबे समय से तेजस्वी के सबसे अहम रणनीतिक सलाहकार माने जाते हैं- राज्यसभा सांसद संजय यादव। पिछले कुछ महीनों से संजय यादव को लेकर पार्टी और परिवार दोनों में असंतोष की खबरें सामने आई हैं। कई जगह कार्यकर्ताओं ने उनके खिलाफ नारेबाजी भी की थी। ऐसे में उनकी इस प्रमुख समीक्षा बैठक से दूरी को राजनीतिक संकेत माना जा रहा है। सूत्र बताते हैं कि RJD में एक बड़े बदलाव की भूमिका तैयार हो रही है।
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इस समीक्षा प्रक्रिया को RJD ने दो चरणों में बांटा है। पहले चरण की बैठकें 26 नवंबर से 4 दिसंबर तक चल रही हैं, जिनमें उन उम्मीदवारों को बुलाया जा रहा है जिनके क्षेत्रों में पहले चरण में मतदान हुआ था। दूसरे चरण की बैठकें 5 से 9 दिसंबर तक होंगी, जहां प्रत्याशियों से बूथ लेवल वोट पैटर्न, मतदान प्रतिशत में उतार-चढ़ाव, संगठनात्मक समर्थन, सहयोगी दलों के प्रदर्शन और टिकट चयन से जुड़े मुद्दों पर गहन चर्चा की जाएगी।

चुनाव में मिली निराशाजनक हार के बाद RJD की यह व्यापक समीक्षा पार्टी की रणनीति में बड़े बदलावों का संकेत है। महागठबंधन के बिखरते जनाधार और NDA के मजबूत वोट ट्रांसफर के बीच RJD आने वाले दिनों में नई टीम, नई रणनीति और नए संगठनात्मक ढांचे के साथ अपनी राजनीतिक जमीन बचाने और मजबूत करने की कोशिश में जुट गया है।






















