राजद विधायक रीतलाल यादव ने मंगलवार को अपने भाई और करीबियों के साथ दानापुर न्यायालय में आत्मसमर्पण कर सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। हाल ही में उनके खिलाफ रंगदारी मांगने और जान से मारने की धमकी देने के मामले में पुलिस ने कार्रवाई तेज कर दी थी, जिसके बाद यह कदम उठाया गया।
पुलिस की नजर में “फरार” घोषित किए जा चुके रीतलाल यादव पर एक बिल्डर ने गंभीर आरोप लगाए थे। बिल्डर कुमार गौरव की शिकायत के अनुसार, विधायक ने उनसे 50 लाख रुपये की रंगदारी मांगी और न देने पर अंजाम भुगतने की धमकी दी थी। गौरव के मुताबिक, उन्होंने चार लाख रुपये दिए भी, लेकिन फिर भी धमकियां आती रहीं।
इस केस में पटना पुलिस और एसटीएफ ने संयुक्त रूप से रीतलाल यादव के 11 ठिकानों पर छापेमारी की थी। इस दौरान 10.5 लाख रुपये नकद, 77 लाख रुपये के ब्लैंक चेक, जमीन के कागजात और अन्य संदिग्ध दस्तावेज बरामद किए गए। यह ऑपरेशन दानापुर के एएसपी भानु प्रताप सिंह के नेतृत्व में चलाया गया।
छापेमारी के दौरान विधायक और उनके सहयोगी घरों से गायब मिले, जिसके बाद उन्हें फरार बताया गया। बीजेपी ने सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को जोरशोर से उठाते हुए रीतलाल को भगोड़ा कहा और आरजेडी पर सवाल खड़े किए। आज जब दानापुर कोर्ट में रीतलाल यादव, उनके भाई चिक्कू यादव, पिंकू यादव, श्रवण यादव समेत कई सहयोगियों ने आत्मसमर्पण किया, तो कोर्ट परिसर में भारी भीड़ जमा हो गई। पुलिस की कड़ी निगरानी में सभी को अदालत में पेश किया गया।
इस पूरे घटनाक्रम पर रीतलाल यादव ने सोशल मीडिया के जरिए प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उनके खिलाफ कार्रवाई राजनीतिक प्रतिशोध का नतीजा है। उन्होंने पुलिस पर पक्षपात और मनमानी करने का आरोप भी लगाया।
अब सबकी निगाहें अदालत की अगली कार्रवाई और इस हाई-प्रोफाइल केस के कानूनी मोड़ पर टिकी हैं। क्या यह मामला केवल कानून का है, या इसमें सियासत की गहरी चालें भी छिपी हैं—यह आने वाले दिन तय करेंगे।
फिलहाल इतना तय है कि बिहार की राजनीति में रीतलाल यादव की गिरफ्तारी की पटकथा एक नया सस्पेंस लेकर आई है।