बिहार की सियासत में गर्मी बढ़ गई है। राजद सांसद सुधाकर सिंह ने बुधवार को पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर एनडीए गठबंधन पर तीखा हमला बोला। उन्होंने इसे “भानुमति का कुनबा” करार देते हुए कहा कि सत्ता की लालच में यह गठबंधन बना है, लेकिन इसके घटक दलों में रोज़ाना कलह मची हुई है। सुधाकर सिंह ने कहा कि एनडीए को बिहार के विकास से कोई लेना-देना नहीं, बल्कि सिर्फ सत्ता हथियाने की लड़ाई चल रही है।
कुर्मी एकता रैली पर क्या बोले सुधाकर सिंह?
पटना में हो रही कुर्मी एकता रैली को लेकर भी सुधाकर सिंह ने बयान दिया। उन्होंने कहा कि “इस तरह के आयोजनों की मंशा क्या है, यह सिर्फ आयोजक ही जानते हैं।” हालांकि, उन्होंने इस पर खुलकर कुछ नहीं कहा, लेकिन उनके बयान से साफ झलक रहा था कि वे इसे सिर्फ एक राजनीतिक स्वार्थ से जुड़ा आयोजन मान रहे हैं।
“जगदानंद सिंह नाराज नहीं, स्वास्थ्य कारणों से कार्यालय नहीं आते”
राजद के प्रदेश अध्यक्ष और उनके पिता जगदानंद सिंह को लेकर चल रही अटकलों को भी सुधाकर सिंह ने खारिज किया। उन्होंने कहा कि “मेरे पिता नाराज नहीं हैं। वह स्वास्थ्य कारणों से पार्टी कार्यालय नहीं आ रहे, लेकिन घर से ही पार्टी के सभी कार्यों का संचालन कर रहे हैं।”
“लालू यादव का योगदान अमिट, भारत रत्न मिलना चाहिए”
सुधाकर सिंह ने लालू प्रसाद यादव को भारत रत्न देने की मांग पर भी अपनी राय रखी और तेजस्वी यादव के बयान का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि “लालू यादव का योगदान भारतीय राजनीति में अमिट है और इसे कभी नकारा नहीं जा सकता।” साथ ही उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि “जिन्होंने कभी कर्पूरी ठाकुर को गालियां दी थीं, वही लोग आज उन्हें भारत रत्न देने लगे हैं।”
“ममता बनर्जी के महाकुंभ को ‘मौत का कुंभ’ कहना सही नहीं”
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के महाकुंभ को ‘मौत का कुंभ’ कहे जाने पर सुधाकर सिंह ने केंद्र सरकार पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि “देशभर में अव्यवस्था के कारण कई जगहों पर मौतें हुई हैं, लेकिन सरकार संसद में इनके सही आंकड़े तक देने को तैयार नहीं है।”
लालू यादव के ‘फालतू कुंभ’ बयान पर सफाई
जब लालू यादव द्वारा महाकुंभ को “फालतू” कहने पर विवाद हुआ, तो इस पर सफाई देते हुए सुधाकर सिंह ने कहा कि “लालू यादव ने कुंभ के दौरान हुई अव्यवस्थाओं पर सवाल उठाया था, आस्था पर नहीं।”
बिहार के विकास को लेकर सुधाकर सिंह की चिंता
सुधाकर सिंह ने कहा कि “बिहार अब नया बिहार है और यह सामाजिक और आर्थिक न्याय की दिशा में आगे बढ़ रहा है।” उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, सड़क और बिजली के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव की जरूरत पर जोर दिया। उनका कहना था कि “जब तक बुनियादी सुविधाओं में सुधार नहीं होगा, बिहार को आगे बढ़ने में दिक्कतें आती रहेंगी।”