बिहार में 2025 विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच अब मतदाता सूची को लेकर बड़ा सियासी विवाद खड़ा हो गया है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने निर्वाचन आयोग द्वारा चलाए जा रहे विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान को लेकर तीखा विरोध दर्ज कराया है। RJD का दावा है कि इस अभियान के पीछे भारतीय जनता पार्टी (BJP) और जनता दल यूनाइटेड (JDU) का “राजनीतिक एजेंडा” छुपा हुआ है, जिससे गरीब और वंचित वर्गों को मताधिकार से वंचित किया जा सके।
RJD का बड़ा आरोप: “घोषित साजिश के तहत हो रहा पुनरीक्षण”
पटना में एक प्रेस वार्ता के दौरान RJD प्रदेश अध्यक्ष मंगनीलाल मंडल ने कहा कि बिहार में गरीबों और वंचित तबकों को वोट देने से रोकने की यह एक सुव्यवस्थित साजिश है। BJP और JDU को इसका सीधा फायदा मिलेगा। इतने कम समय में पुनरीक्षण संभव नहीं है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब 2003 के बाद कभी विशेष गहन पुनरीक्षण नहीं हुआ, तो अब चुनाव से ऐन पहले ऐसा क्यों किया जा रहा है?
बैठक में RJD ने जताई आपत्ति
बुधवार को मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी की राजनीतिक दलों के साथ बैठक हुई थी, जिसमें RJD की ओर से प्रवक्ता चित्तरंजन गगन, मुख्यालय प्रभारी मुकुंद सिंह, प्रदेश महासचिव मदन शर्मा ने विरोध दर्ज कराया। इनका तर्क था कि चुनाव अब बेहद करीब हैं। इतने कम समय में गहन पुनरीक्षण “अव्यावहारिक और पक्षपाती” है। जिन दस्तावेजों की मांग की जा रही है, वो लाखों गरीब परिवारों के पास उपलब्ध नहीं हैं। RJD के नेताओं का कहना है कि यह प्रक्रिया गरीबों, अनुसूचित जाति-जनजाति और अन्य पिछड़े वर्ग (OBC) के वोट को निशाना बना रही है। अगर वे दस्तावेज नहीं दे पाएंगे, तो नाम मतदाता सूची से हट सकते हैं, जिससे चुनाव परिणाम प्रभावित हो सकते हैं।
वहीं बिहार निर्वाचन आयोग की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, 25 जून से 26 जुलाई तक विशेष गहन पुनरीक्षण चलेगा। अंतिम मतदाता सूची सितंबर में जारी की जाएगी। यह एक नियमित प्रक्रिया है, जिसमें नए वोटर जुड़ते हैं और मृत/स्थानांतरित वोटरों के नाम हटते हैं। हालांकि RJD का आरोप है कि इस प्रक्रिया की टाइमिंग संदिग्ध है और यह राजनीतिक पक्षपात को जन्म दे सकती है।