बिहार की सियासत में एक बार फिर नाटकीय मोड़ आया है। राजद के MLC सुनील सिंह, जिनकी सदस्यता सीएम नीतीश कुमार की मिमिक्री करने के कारण खत्म कर दी गई थी, अब फिर से बहाल हो गई है।
बुधवार को बिहार विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह ने सदन में इसकी औपचारिक घोषणा की। यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में लिया गया है, जिसने सुनील सिंह को बड़ी राहत दी है।
बिहार में विपक्षी दलों ने इसे सत्ता का दुरुपयोग बताया था। क्या सिर्फ मिमिक्री करने की वजह से किसी नेता की सदस्यता खत्म की जा सकती है? इस फैसले पर तब भी सवाल उठे थे और अब सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे गलत करार दिया है।
सुनील सिंह की सदस्यता तो बहाल हो गई, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 7 महीने का वेतन और पारिश्रमिक देने से इनकार कर दिया। यानी, यह बहाली तो है, लेकिन पूर्ण राहत नहीं।
इस मामले ने लोकतंत्र, अभिव्यक्ति की आज़ादी और सत्ता के दायरे पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए थे। राजद और अन्य विपक्षी दल इसे सरकार की तानाशाही मानसिकता कह रहे थे, जबकि सत्ता पक्ष इसे मर्यादा और अनुशासन का सवाल मान रहा था।
लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि सदस्यता खत्म करने का फैसला गलत था। यह न केवल राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है, बल्कि लोकतंत्र में विपक्ष की भूमिका पर भी नए सिरे से बहस शुरू कर दी है।