गुवाहाटी: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने रविवार को गुवाहाटी के स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट में एक अत्याधुनिक रोबोटिक सर्जरी सिस्टम का उद्घाटन किया। इस नई सुविधा के साथ, यह संस्थान पूर्वोत्तर भारत का पहला सरकारी अस्पताल बन गया है, जो कैंसर मरीजों के लिए रोबोटिक सर्जरी की सुविधा प्रदान करेगा। मुख्यमंत्री सरमा ने उद्घाटन के दौरान कहा, “आज हमने गुवाहाटी के स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट में रोबोटिक सर्जरी सिस्टम की शुरुआत की है। अब से मरीज यहां कैंसर के लिए रोबोटिक सर्जरी करा सकेंगे। भारत सरकार द्वारा दिए गए 15 करोड़ रुपये के अनुदान से हमने यहां भारत में निर्मित रोबोटिक सर्जरी मशीन स्थापित की है।”
इस कदम को असम में कैंसर देखभाल को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है। यह रोबोटिक सर्जरी सिस्टम असम सरकार और टाटा ट्रस्ट्स की संयुक्त साझेदारी का हिस्सा है, जिसके तहत राज्य में दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा कैंसर देखभाल नेटवर्क स्थापित करने की योजना है। इस परियोजना के तहत असम में 17 कैंसर अस्पताल बनाए जाने की योजना है, जो मरीजों को उनके घरों के नजदीक किफायती और मानकीकृत उपचार प्रदान करेंगे। असम कैंसर केयर फाउंडेशन के अनुसार, यह पहल राज्य के 50% कैंसर मरीजों को लाभ पहुंचाने की उम्मीद करती है। हालांकि, भारत में रोबोटिक सर्जरी को अपनाने में कई चुनौतियां भी हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस तकनीक की उच्च लागत, जिसमें प्रारंभिक निवेश लगभग 1.5 मिलियन डॉलर और वार्षिक रखरखाव पर 100,000 डॉलर का खर्च आता है, स्वास्थ्य बजट पर दबाव डाल सकती है। खासकर तब, जब देश में तपेदिक और मलेरिया जैसी संचारी बीमारियों से निपटने को प्राथमिकता दी जाती है। इसके बावजूद, भारत में बनी यह रोबोटिक मशीन, जिसकी कीमत वैश्विक विकल्पों जैसे डा विंची सर्जिकल सिस्टम (15 करोड़ रुपये) की तुलना में कम है, लागत को कम करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। यह नई सुविधा उन मरीजों के लिए वरदान साबित हो सकती है, जो पहले इलाज के लिए मुंबई, कोलकाता या चेन्नई जैसे शहरों की यात्रा करने को मजबूर थे।
स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट में रोबोटिक सर्जरी की शुरुआत से न केवल इलाज की पहुंच बढ़ेगी, बल्कि यह किफायती भी होगा, खासकर उन मरीजों के लिए जो सरकारी योजनाओं जैसे प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना का लाभ उठाते हैं। असम में कैंसर देखभाल को मजबूत करने की यह पहल न केवल तकनीकी उन्नति का प्रतीक है, बल्कि राज्य के स्वास्थ्य ढांचे को सुदृढ़ करने की दिशा में एक बड़ा कदम भी है।