बिहार के रोहतास जिले में पर्यटन विकास की उम्मीदों से जुड़ी रोहतासगढ़ किला रोपवे परियोजना (Rohtasgarh Ropeway Accident) उस समय सवालों के घेरे में आ गई, जब ट्रायल के दौरान ही पूरा ढांचा धराशाई हो गया। कैमूर पहाड़ी पर स्थित ऐतिहासिक रोहतासगढ़ किले तक पर्यटकों की आसान पहुंच के लिए बनाए जा रहे इस रोपवे का परीक्षण अकबरपुर इलाके में चल रहा था। परीक्षण के दौरान जैसे ही खाली केबिन को रोहतासगढ़ किले की दिशा में आगे बढ़ाया गया, अचानक एक पिलर गिर पड़ा और देखते ही देखते कई पिलर उखड़ते चले गए। कुछ ही क्षणों में केबिन-डोला समेत पूरा सिस्टम जमीन पर आ गिरा, जिससे इलाके में अफरा-तफरी मच गई।
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इस हादसे ने न सिर्फ परियोजना की तकनीकी मजबूती पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि करोड़ों रुपये की लागत से बने ढांचे की गुणवत्ता को लेकर भी गंभीर बहस शुरू कर दी है। राहत की बात यह रही कि ट्रायल के समय केबिन पूरी तरह खाली था, जिससे किसी तरह की जनहानि नहीं हुई। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यही घटना यात्रियों के साथ होती तो यह एक भीषण हादसे का रूप ले सकती थी। हादसे के वक्त मौके पर मौजूद अभियंता और तकनीकी स्टाफ भी कुछ देर के लिए स्तब्ध रह गए।
रोहतासगढ़ रोपवे परियोजना पिछले छह वर्षों से निर्माणाधीन थी और इस पर करीब 13 करोड़ 65 लाख रुपये खर्च किए गए हैं। वर्ष 2019 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा इसका शिलान्यास किया गया था और नए साल के अवसर पर इसके लोकार्पण की तैयारी जोरों पर थी। स्थानीय प्रशासन और पर्यटन विभाग को उम्मीद थी कि रोपवे के शुरू होने से रोहतासगढ़ किले तक पहुंचना बेहद आसान हो जाएगा और लगभग 70 किलोमीटर के घुमावदार पहाड़ी रास्ते को कुछ ही मिनटों में तय किया जा सकेगा।






















