लखनऊ: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में प्रयागराज महाकुंभ 2025 के आयोजन को लेकर भरपूर चर्चा हुई । कर्नाटक के बेंगलुरु में आयोजित इस सभा में संघ की तरफ से साफ शब्दों में कहा गया है कि महाकुंभ के सफल और भव्य आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश की सरकार और केंद्र सरकार बधाई की पात्र है। बता दें संघ की तरफ से आए इस बयान के बाद उत्तर प्रदेश में सियासी हलचल देखी जा रही है। इसी के साथ चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है। संघ के इस बयान को खासतौर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से जोड़कर देखा जा रहा है। दरअसल, मातृ संगठन की तरफ से भाजपा सरकार को बधाई मिलने का विशेष मतलब है। इसके सियासी मायने भी हैं।
दरअसल आरएसएस की ये प्रतिनिधि सभा का आयोजन तीन दिन तक होना है, ये संघ की सबसे महत्वपूर्ण बैठक मानी जाती है। इसमें साल भर किए गए कार्यों का लेखा जोखा प्रस्तुत किया जाता है। साथ ही इस दौरान देश में घटित हुईं तमाम घटनाओं, तमाम मुद्दों को लेकर संघ का स्पष्ट मत भी रखा जाता है। संघ प्रमुख मोहन भागवत की अगुवाई में ये सभा की शुरुआत हो गई है। इसी क्रम में प्रयागराज महाकुंभ को लेकर अहम बयान सामने आया है। दरअसल मुकंद सीआर ने प्रेस कांफ्रेंस के दौरान प्रयाराज महाकुंभ के सफल और भव्य आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश की सरकार और केंद्र सरकार को बधाई दी। संघ की तरफ से कहा गया कि भारत का महाकुंभ प्रयागराज में हुआ। यह हमारी संस्कृति के लिए गर्व का विषय था।
इसने हमारे आत्मविश्वास को मजबूत किया। इसने सिर्फ हिंदू समाज के लिए ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को अध्यात्म और संस्कृति का संदेश दिया। यह एक विशेष मौका था। पूरे कुंभ का अच्छे इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ आयोजन हुआ। इसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार और भारत सरकार को बधाई बनती है। बता दें करीब डेढ़ महीने चले प्रयागराज महाकुंभ 2025 में 66 करोड़ लोगों के स्नान करने का दावा किया गया। इस आयोजन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ संघ और बाकी तमाम देश की बड़ी हस्तियों ने संगम में डुबकी लगाई। दरअसल 2017 में योगी आदित्यनाथ को जब उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया। तब वह लोकसभा सदस्य हुआ करते थे। उनके इस चयन के पीछे कहीं न कहीं आरएसएस की इच्छा से जोड़कर देखा गया।
इसके बाद कई बार ऐसे मौके आए, जब साफ दिखा कि आरएसएस की पसंद योगी आदित्यनाथ हैं। 2022 के विधानसभा चुनावों को ही ले लें। इस चुनाव में संघ ने तीन फेज के बाद ताकत झोंकी। इसका सीधा असर ये था कि भाजपा दोबारा सत्ता पर काबिज हुई और योगी आदित्यनाथ दूसरी बार बहुमत की सरकार के मुखिया बनने में कामयाब रहे। चुनाव में कई जगह प्रमुख विपक्षी दल सपा को नजदीकी हार का सामना करना पड़ा। हालांकि 2024 के लोकसभा चुनाव में ऐसा देखने को नहीं मिला। चुनावों से ऐन पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का एक बयान चर्चा में आया, जिसमें उन्होंने कहा था कि भाजपा को आरएसएस की जरूरत नहीं है। इस बयान के बाद स्थितियां जमीन पर साफ तौर पर बदलती दिखीं।
चुनावों में भाजपा जूझ रही थी, वहीं दूसरी तरफ संघ अपने तय कार्यक्रमों में व्यस्त रहा। उसने साफ तौर पर किनार कर दिया। इसका नतीजा कुछ ही दिनों में सामने भी आ गया। लोकसभा चुनाव परिणाम में भाजपा की ताकत यूपी में आधी रह गई और सपा-कांग्रेस ने कई सीटों पर उसे मात दे दी। लेकिन इसके बाद स्थितियां तेजी से बदलीं और महाराष्ट्र चुनाव, हरियाणा, दिल्ली और यूपी उपचुनावों फिर हवा बदली और संघ फिर से भाजपा के रथ का सारथी नजर आया। अब नतीजा सबके सामने है। हर तरफ भाजपा की जीत हुई। इसी क्रम में अब महाकुंभ के आयोजन को लेकर संघ की यूपी सरकार की प्रशंसा को अगला पड़ाव माना जा रहा है।
बता दें ये वही महाकुंभ है, जहां मौनी अमावस्या को लेकर भगदड़ की अप्रिय घटना हुई और विपक्ष लगातार योगी सरकार को घेर रहा था। हालांकि इस संबंध में संघ से जुड़े एक वरिष्ठ स्वयंसेवक का कहना है कि अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में वर्ष भर के तमाम कार्यों, घटनाओं आदि पर विस्तार से चर्चा होती है। इस दौरान संघ अपने कार्यों का लेखा जोखा भी प्रस्तुत करता है। महाकुंभ एक बड़ा आयोजन था, इसमें नेत्र महाकुंभ जैसे कैंप के साथ संघ की प्रयागराज में उपस्थिति थी। इस दौरान लाखों लोगों की आंख टेस्ट की गई, चश्मे आदि का वितरण किया गया। ये सब एक लेखा जोखा है। इस दौरान जो अच्छी व्यवस्था दिखी उसकी प्रशंसा की गई। बस इतनी सी ही बात है।