बिहार विधानसभा के बजट सत्र का तीसरा दिन भी हंगामे की भेंट चढ़ गया। बजट को गरीब विरोधी करार देते हुए भाकपा (माले) और राजद विधायकों ने विधानसभा परिसर में जबरदस्त प्रदर्शन किया। बैनर, पोस्टर और नारेबाजी के साथ उन्होंने राज्य सरकार पर गरीबों, महिलाओं और युवाओं को ठगने का आरोप लगाया।
विपक्ष ने बताया ‘झुनझुना बजट’, सरकार पर साधा निशाना
राजद विधायक मुकेश रोशन इस प्रदर्शन में हाथ में झुनझुना और लॉलीपॉप लेकर पहुंचे और तंज कसते हुए कहा कि “यह बजट जनता को लॉलीपॉप थमाने जैसा है। महिलाओं के सम्मान और युवाओं के रोजगार के लिए इसमें कुछ नहीं है। बिहार के लोग ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।”
नेता प्रतिपक्ष राबड़ी देवी ने भी बिहार विधान परिषद के द्वार पर राजद विधायकों के साथ जोरदार प्रदर्शन किया। हाथों में तख्तियां लेकर उन्होंने एससी-एसटी के लिए आरक्षण की मांग उठाई। सोमवार को भी वे पूरे ऐक्शन मोड में नजर आई थीं और आज भी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला।
सरकार का जवाब: ‘हमारे चाहने वाले उधर भी बैठे हैं’
बजट सत्र के तीसरे दिन जैसे ही विधानसभा की कार्यवाही शुरू हुई, विपक्षी विधायकों ने सरकार को घेरने की कोशिश की। विपक्षी विधायक ललित यादव ने कहा कि “सत्ता पक्ष के कम विधायक नजर आ रहे हैं। अगर आज वोटिंग हो तो सरकार गिर सकती है!”
इस पर मंत्री विजय चौधरी ने चुटकी लेते हुए जवाब दिया कि “हमारी सरकार को चाहने वाले लोग उधर (विपक्ष) भी बैठे हैं।”
शिक्षकों के तबादले पर सरकार की सफाई
इस बीच, 1 लाख 90 हजार शिक्षकों के ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर सरकार ने बड़ा ऐलान किया। शिक्षा मंत्री ने विधानसभा में बताया कि अगले दो महीनों में यह प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। इसके लिए स्क्रूटनी चल रही है और वेकेंसी के आधार पर ही पोस्टिंग होगी।
विपक्ष का हमला, अध्यक्ष का इनकार
बिहार विधानसभा अध्यक्ष नंद किशोर यादव ने विपक्ष के कार्य स्थगन प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया। उन्होंने कहा कि राज्यपाल के अभिभाषण पर सरकार का उत्तर पहले से तय कार्यक्रम के तहत होना था, इसलिए नियमों के मुताबिक कार्य स्थगन संभव नहीं है।
विधानसभा के अंदर-बाहर गूंजे विरोध के स्वर
सदन के अंदर शिक्षकों के तबादले समेत अन्य मुद्दों पर विपक्ष ने तीखे सवाल दागे, तो वहीं सदन के बाहर सरकार के खिलाफ गुस्से का उबाल नजर आया। विधानसभा अध्यक्ष ने हंगामे को देखते हुए कार्यवाही दोपहर 2 बजे तक स्थगित कर दी।
बिहार का बजट सत्र अब राजनीतिक अखाड़ा बनता दिख रहा है। विपक्ष इसे गरीब विरोधी और दिशाहीन बता रहा है, तो सरकार अपनी नीतियों का बचाव करते हुए विपक्ष पर ‘अवसरवादी राजनीति’ करने का आरोप लगा रही है। देखना यह होगा कि आगे यह सत्र और कितने नए सियासी मोड़ लेकर आता है।