लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने भोपाल में पार्टी की एक सभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोला। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर और भारत-पाकिस्तान सीजफायर को लेकर दावा किया कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का एक फोन आया और पीएम नरेंद्र मोदी ने तुरंत सरेंडर कर दिया। उन्होंने पीएम मोदी के नाम का उच्चारण ‘नरेंदर’ किया। ऐसे में राहुल गांधी की भाषा और उनकी राजनीतिक मर्यादा को लेकर गंभीर सवाल उठाए जा रहे हैं। राहुल गांधी की इस टिप्पणी को बीजेपी ने ‘असभ्य’ और ‘पाकिस्तान समर्थक’ करार दिया है।
वहीं केंद्र में मंत्री और हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के प्रमुख जीतन राम मांझी ने भी राहुल गांधी के बयान की आलोचना करते हुए निशाना साधा है। उन्होंने इंदिरा गांधी से लेकर सोनिया गांधी, राजीव गांधी और मनमोहन सिंह के शासन काल की याद दिलाई। और सोशल मीडिया एक्स पर लिखा कि इंदिरा गाँधी के सामने नेहरू का सरेंडर, इमरजेंसी को लेकर जनता के सामने इंदिरा का सरेंडर, बोफोर्स के सामने राजीव गांधी का सरेंडर, सोनिया गांधी के सामने मनमोहन सिंह का सरेंडर, राहुल गांधी के अध्यादेश फाड़ने पर पूरी UPA सरकार का सरेंडर, जिनका पूरा इतिहास सरेंडर का हो वह दूसरों पर उँगली नहीं उठाते राहुल गांधी जी।
‘ट्रंप ने फोन कर कहा- नरेंदर.. सरेंडर.. मोदी जी ने कहा- जी हुजूर !’
क्या कहा था राहुल गांधी ने
राहुल गांधी ने भोपाल में ‘संगठन सृजन अभियान’ के दौरान कहा, “ट्रंप ने एक इशारा किया, फोन उठाया और कहा, ‘मोदी जी, आप क्या कर रहे हैं? नरेंदर, सरेंडर।’ और मोदी जी ने ‘यस सर’ कहकर ट्रंप का हुक्म मान लिया।” उन्होंने इसे 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध से जोड़ा जब इंदिरा गांधी ने अमेरिका के सातवें बेड़े की धमकी के बावजूद दृढ़ता दिखाई थी। उसी युद्ध की बदौलत पाकिस्तान से अलग बांग्लादेश का जन्म हुआ। राहुल ने बीजेपी-आरएसएस पर निशाना साधते हुए कहा कि उनकी आजादी के समय से सरेंडर लेटर लिखने की आदत है, जबकि कांग्रेस सुपरपावर से लड़ती है और कभी नहीं झुकती।