मॉस्को : रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने एक बार फिर भारत, चीन और रूस के बीच त्रिपक्षीय समूह (India-Russia-China – IRC) को सक्रिय करने की वकालत की है। ‘2050 भविष्य का मंच’ को संबोधित करते हुए लावरोव ने कहा कि भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव में कमी आई है, जिसके चलते इस त्रिपक्षीय गठबंधन को फिर से शुरू करने का सही समय है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि पश्चिमी देश भारत और चीन को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं, जो रूस के ‘डिवाइड एंड कॉन्कर’ के खिलाफ है।
मुख्य बिंदु:
- त्रिपक्षीय समूह की बहाली: लावरोव ने कहा, “मुझे उम्मीद है कि हम ‘रूस-भारत-चीन’ त्रिपक्षीय समूह के काम को फिर से शुरू कर पाएंगे। पिछले कुछ वर्षों से विदेश मंत्रियों की बैठक नहीं हुई, लेकिन हम चीनी और भारतीय सहयोगियों के साथ इस पर चर्चा कर रहे हैं।”
- भारत-चीन सीमा पर शांति: रूसी विदेश मंत्री ने दावा किया कि भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव काफी हद तक कम हो गया है और दोनों देशों के बीच संवाद जारी है, जो त्रिपक्षीय सहयोग के लिए अनुकूल स्थिति बनाता है।
- पश्चिम पर निशाना: लावरोव ने पश्चिमी देशों पर आरोप लगाया कि वे इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में एंटी-चाइना नीति के तहत भारत और चीन के बीच फूट डालने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह रणनीति रूशियन राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन द्वारा भी उजागर की गई है।
पृष्ठभूमि:
2020 में गलवान घाटी में भारत और चीन के बीच हुए सैन्य गतिरोध के बाद त्रिपक्षीय समूह की गतिविधियां कम हो गई थीं, जिसमें 20 भारतीय और 4 चीनी सैनिकों की जान गई थी। हालांकि, हाल के महीनों में दोनों देशों के बीच सैन्य और कूटनीतिक वार्ता से तनाव में कमी आई है।
दूसरी ओर, अमेरिका के नेतृत्व में इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में नौसैनिक तैनाती में 25% की वृद्धि (2022 के बाद) ने रूस की चिंता बढ़ाई है, जो अपने क्षेत्रीय सहयोगियों को मजबूत करना चाहता है।
आगे की राह:
लावरोव का यह बयान रूस की बढ़ती कूटनीतिक सक्रियता को दर्शाता है। लावरोव की इस पहल से भारत-रूस-चीन के बीच आर्थिक और सुरक्षा सहयोग को नई दिशा मिल सकती है। हालांकि, भारत के लिए यह संतुलन बनाना चुनौतीपूर्ण होगा, क्योंकि वह अमेरिका के साथ भी मजबूत रणनीतिक साझेदारी बनाए हुए है।