नई दिल्ली: केंद्रीय विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने आज दिल्ली में विदेश मामलों पर संसदीय सलाहकार समिति की एक महत्वपूर्ण बैठक की अध्यक्षता की। यह बैठक भारत की विदेश नीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर चर्चा करने के लिए आयोजित की गई थी, जिसमें विभिन्न मुद्दों पर गहन विचार-विमर्श हुआ।
बैठक के दौरान, डॉ. जयशंकर ने भारत की वैश्विक भूमिका और उसके रणनीतिक हितों पर प्रकाश डाला, विशेष रूप से रूस-यूक्रेन संघर्ष में शांति के लिए भारत के प्रयासों और चीन के साथ सीमा विवाद के बाद स्थिरता बनाए रखने के संबंध में। उन्होंने यह भी जोर दिया कि कैसे भारत ने पिछले कुछ वर्षों में अपनी कूटनीतिक रणनीति को और अधिक आक्रामक बनाया है, जिससे उसकी अंतरराष्ट्रीय उपस्थिति और मजबूत हुई है।
संसदीय सलाहकार समिति की बैठकें भारत की विदेश नीति के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, क्योंकि ये मंच विधायी और कार्यकारी शाखाओं के बीच समन्वय स्थापित करने में मदद करते हैं। डॉ. जयशंकर, जो मई 2019 में विदेश मंत्री बने, पहले ऐसे व्यक्ति हैं जो विदेश सचिव के पद से सीधे इस मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं, जिससे उनकी व्यापक कूटनीतिक अनुभव का लाभ मिलता है।
इस बीच, पाकिस्तान के साथ युद्धविराम का पालन जारी है, जो डॉ. जयशंकर की नेतृत्व वाली कूटनीतिक टीम के प्रयासों का परिणाम है। यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब भारत अपनी विदेश नीति को और मजबूत करने और वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति को और मजबूत करने के लिए निरंतर प्रयास कर रहा है।
बैठक में भाग लेने वाले सदस्यों ने भारत की विदेश नीति के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत चर्चा की, जिसमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता की दावेदारी, भारतीय प्रवासी समुदाय की भलाई, और क्षेत्रीय संगठनों में भारत की भूमिका शामिल थी।
यह बैठक भारत की विदेश नीति के भविष्य को आकार देने में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी, क्योंकि यह सुनिश्चित करती है कि विधायी और कार्यकारी शाखाओं के बीच सहयोग बना रहे और भारत की वैश्विक चुनौतियों का सामना करने की क्षमता और मजबूत हो।