सहरसा (Saharsa) जिले के बाल सुरक्षित गृह में बुधवार की सुबह उस समय अफरा-तफरी मच गई जब हत्या के मामले में बंद एक किशोर ने बाथरूम में गमछे के सहारे फांसी लगाकर अपनी जान दे दी। मृतक किशोर मधुबनी जिले का रहने वाला था और पहले दरभंगा बाल सुधार गृह में रखा गया था। बाद में उसे मुजफ्फरपुर से 21 अगस्त 2025 को सहरसा भेजा गया था। इस घटना ने न केवल बाल सुरक्षित गृह की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि किशोरों के मनोवैज्ञानिक हालात पर भी चर्चा छेड़ दी है।

घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस और प्रशासन हरकत में आ गए। मुख्यालय डीएसपी के.पी. सिंह ने बताया कि बाल सुरक्षित गृह, जिसे “प्लेस ऑफ सेफ्टी” कहा जाता है, का उद्देश्य विधि विवादित बच्चों को सुरक्षित वातावरण में रखना है। लेकिन इस तरह की घटना चौंकाने वाली है। उन्होंने कहा कि “मामले की गंभीरता को देखते हुए सभी कानूनी प्रावधानों के तहत जांच शुरू कर दी गई है। जांच पूरी होने के बाद ही सच्चाई सामने आ पाएगी।”
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वहीं, बाल गृह के कर्मचारी सुनील कुमार ने बताया कि किशोर ने बाथरूम में गमछे का इस्तेमाल कर आत्महत्या की। उन्होंने पुष्टि की कि मृतक मधुबनी का रहने वाला था और हत्या के मामले में पहले दरभंगा बाल सुधार गृह में बंद था। बाद में उसे विभिन्न सुधार गृहों से होते हुए दो महीने पहले सहरसा लाया गया था।

फिलहाल पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। घटना के बाद बाल सुरक्षित गृह में रह रहे अन्य किशोरों के बीच दहशत का माहौल है। इस घटना ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर प्लेस ऑफ सेफ्टी में निगरानी और काउंसलिंग की व्यवस्थाएं कितनी प्रभावी हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि ऐसे मामलों में नियमित मनोवैज्ञानिक परामर्श और सुरक्षा की ठोस व्यवस्था जरूरी है, वरना इस तरह की घटनाएं बार-बार सामने आ सकती हैं।






















