Sahebganj Vidhan Sabha 2025: मुजफ्फरपुर जिले की साहेबगंज विधानसभा सीट (निर्वाचन क्षेत्र संख्या 98) बिहार की राजनीति में हमेशा से चर्चाओं में रही है। यह सीट अपने जातीय समीकरण और कद्दावर नेताओं की वजह से बार-बार सुर्खियों में आती रही है। दशकों तक यहां रामविचार राय का दबदबा रहा, लेकिन पिछले चुनाव में समीकरण पूरी तरह बदल गए और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के राजू कुमार सिंह ने बाजी मार ली। अब 2025 के विधानसभा चुनाव को लेकर साहेबगंज सीट पर फिर से रोमांचक जंग देखने को मिल सकती है।
चुनावी इतिहास
रामविचार राय का राजनीतिक सफर इस सीट से 1990 में जनता दल के टिकट पर शुरू हुआ था। इसके बाद उन्होंने 1995 में भी जीत दर्ज की और 2000 में आरजेडी के उम्मीदवार के तौर पर विजयी हुए। लंबे समय तक यह सीट रामविचार राय की पकड़ में रही, लेकिन 2005 और 2010 में राजू कुमार सिंह ने उन्हें कड़ी चुनौती दी और जेडीयू के टिकट पर जीत हासिल की।
Baruraj Vidhan Sabha: बदलते समीकरणों की गवाही देती राजनीति, 2025 में किसके पाले में जाएगी सत्ता?
2015 का विधानसभा चुनाव रामविचार राय के लिए वापसी का मौका बना, जब उन्होंने बीजेपी में शामिल हो चुके राजू कुमार सिंह को हराया। हालांकि 2020 के विधानसभा चुनाव ने पूरे परिदृश्य को बदल दिया। वीआईपी के उम्मीदवार राजू कुमार सिंह ने आरजेडी के दिग्गज रामविचार राय को 15,333 वोटों के अंतर से शिकस्त दी। इस चुनाव में राजू को 81,203 वोट मिले, जबकि रामविचार राय को 65,870 वोटों पर संतोष करना पड़ा।
जातीय समीकरण
साहेबगंज सीट पर जातीय समीकरण भी बेहद महत्वपूर्ण हैं। यहां मुस्लिम, भूमिहार और यादव वोटर निर्णायक भूमिका में रहते हैं। इनके अलावा राजपूत, ब्राह्मण, कोइरी, रविदास और पासवान समुदाय के वोट भी उम्मीदवार की जीत-हार तय करने में अहम साबित होते हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार, इस क्षेत्र की कुल आबादी 4,54,897 है, जिसमें 94.89% ग्रामीण और 5.11% शहरी आबादी शामिल है। अनुसूचित जाति की हिस्सेदारी 13.87% और अनुसूचित जनजाति की 0.3% है। 2019 की मतदाता सूची बताती है कि यहां कुल 2,95,016 पंजीकृत मतदाता हैं।
इस बार का चुनाव दिलचस्प होने वाला है क्योंकि एक ओर राजू कुमार सिंह अपनी जीत को दोहराने की कोशिश करेंगे। वहीं दूसरी ओर कौन होगा, यह भी देखने लायक होगा।






















