संभल : उत्तर प्रदेश के संभल जिला कोर्ट ने एक बार फिर कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को नोटिस जारी किया है। यह नोटिस उनके उस विवादास्पद बयान को लेकर है, जिसमें उन्होंने कहा था कि उनकी पार्टी की लड़ाई अब केवल बीजेपी और आरएसएस से नहीं, बल्कि “इंडियन स्टेट” (भारतीय राज्य व्यवस्था) से भी है। कोर्ट ने राहुल गांधी को 16 जून 2025 तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
क्या है पूरा मामला?
यह मामला 15 जनवरी 2025 का है, जब राहुल गांधी दिल्ली में कांग्रेस के नए मुख्यालय ‘इंदिरा भवन’ के उद्घाटन समारोह में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने बीजेपी और आरएसएस पर देश के सभी संस्थानों पर कब्जा करने का आरोप लगाया और कहा, “यह मत सोचो कि हम निष्पक्ष लड़ाई लड़ रहे हैं। बीजेपी और आरएसएस ने हमारे देश की हर एक संस्था पर कब्जा कर लिया है। अब हम बीजेपी, आरएसएस और भारतीय राज्य से ही लड़ रहे हैं।”
इस बयान को लेकर हिंदू शक्ति दल की राष्ट्रीय अध्यक्ष सिमरन गुप्ता ने संभल कोर्ट में शिकायत दर्ज की थी। सिमरन का कहना है कि राहुल का यह बयान देश के नागरिकों और लोकतंत्र के प्रति अनादर को दर्शाता है।
कोर्ट की कार्रवाई
सिमरन गुप्ता की शिकायत पर अपर जिला न्यायाधीश (एडीजे-द्वितीय) आरती फौजदार ने राहुल गांधी को नोटिस जारी किया। इससे पहले कोर्ट ने राहुल को 4 अप्रैल को पेश होने का निर्देश दिया था, जिसे बाद में बढ़ाकर 7 मई कर दिया गया। हालांकि, 7 मई को राहुल गांधी के वकील की अनुपस्थिति में उनके एक सहयोगी कनिष्ठ वकील ने नई तारीख की मांग की, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया और अगली सुनवाई की तारीख 16 जून तय की।
पहले भी हो चुके हैं विवादों में शामिल
राहुल गांधी इससे पहले भी अपने बयानों को लेकर विवादों में रहे हैं। साल 2019 में उन्होंने कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी सभा के दौरान ‘मोदी सरनेम’ पर टिप्पणी की थी, जिसमें उन्होंने कहा था, “सब चोरों के नाम मोदी, मोदी, मोदी क्यों हैं?” इस बयान पर बीजेपी विधायक पूर्णेश मोदी ने उनके खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया था। इस मामले में राहुल को दो साल की सजा सुनाई गई थी, जिसे बाद में सुप्रीम कोर्ट ने निलंबित कर दिया था।
कांग्रेस का पक्ष
कांग्रेस ने इस मामले पर अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि, पार्टी के कुछ नेताओं का कहना है कि राहुल गांधी का बयान बीजेपी और आरएसएस की कथित तानाशाही के खिलाफ उनकी लड़ाई को रेखांकित करता है। दूसरी ओर, बीजेपी समर्थक इस बयान को देश और लोकतंत्र का अपमान बता रहे हैं।
आगे क्या?
अब सभी की नजरें 16 जून की तारीख पर टिकी हैं, जब राहुल गांधी को इस मामले में अपना जवाब दाखिल करना होगा। यह मामला न केवल राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बना हुआ है, बल्कि आम जनता के बीच भी इसकी खूब चर्चा हो रही है।