संभल, उत्तर प्रदेश : संभल में पिछले साल नवंबर 2024 में हुई हिंसा के मामले में एक 1100 पेज की चार्जशीट दाखिल की गई है। इस चार्जशीट में समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद जियाउर रहमान बर्क समेत 23 लोगों पर आरोप तय किए गए हैं। पुलिस के अनुसार, बर्क पर हिंसा से पहले लोगों को भड़काने का गंभीर आरोप है। यह घटना उस समय हुई थी जब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की एक टीम ने शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण करने का प्रयास किया था, जिसके बाद हिंसा भड़क उठी थी। इस हिंसा में 4 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि कई अन्य घायल हुए थे।
हिंसा 24 नवंबर 2024 को उस समय शुरू हुई जब एक अदालत के आदेश पर शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण किया जा रहा था। इस मस्जिद, जो 1526 में बाबर के शासनकाल में बनाई गई थी और दक्षिण एशिया की सबसे पुरानी मुगल-युगीन मस्जिदों में से एक मानी जाती है, को लेकर विवाद लंबे समय से चला आ रहा है। कुछ हिंदू पक्षों का दावा है कि यह मस्जिद एक प्राचीन श्री हरी मंदिर के स्थान पर बनाई गई, जो मुगल काल में ध्वस्त कर दिया गया था। हालांकि, इस दावे का पुरातात्विक सबूतों से अभी तक कोई निश्चित समाधान नहीं हुआ है।
पुलिस ने दावा किया है कि सांसद जियाउर रहमान बर्क ने मस्जिद सर्वेक्षण के विरोध में लोगों को उकसाया, जिसके परिणामस्वरूप हिंसा हुई। इस मामले में सात FIR दर्ज की गई हैं, जिसमें बर्क को प्राथमिक आरोपी (Accused No. 1) बनाया गया है, जबकि नवाब सुहैल इकबाल को दूसरा मुख्य आरोपी घोषित किया गया है। इसके अलावा, 700-800 अज्ञात लोगों को भी मामले में शामिल बताया गया है। बर्क ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि घटना के समय वे बेंगलुरु में थे और यह पुलिस व प्रशासन की साजिश है।
समाजवादी पार्टी ने इस सर्वेक्षण को राजनीतिक रूप से प्रेरित बताते हुए बीजेपी सरकार पर निशाना साधा है। पार्टी के प्रवक्ता अमीके जामेई ने आरोप लगाया कि बीजेपी और स्थानीय प्रशासन ने शाही मस्जिद मुद्दे पर लोगों को उकसाया। दूसरी ओर, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने जनवरी 2025 में बर्क की गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए जांच जारी रखने की अनुमति दी है, जिसे न्यायिक संतुलन के रूप में देखा जा रहा है।
हिंसा के बाद से संभल में तनाव बना हुआ है, और स्थानीय निवासियों ने पुलिस उत्पीड़न की शिकायतें की हैं। शाही जामा मस्जिद, जो प्राचीन स्मारकों संरक्षण अधिनियम, 1904 के तहत संरक्षित है, इस विवाद के केंद्र में बनी हुई है। मामले की जांच जारी है, और सर्वेक्षण के परिणामों का इंतजार है, जो इस ऐतिहासिक विवाद को और स्पष्ट कर सकते हैं।