बिहार की राजनीति (Bihar Politics) में इन दिनों बयानबाजी का दौर तेज हो गया है। उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के बीच सियासी तकरार ने नया मोड़ ले लिया है। सम्राट चौधरी ने अखिलेश यादव पर बड़ा हमला करते हुए कहा कि अखिलेश कभी अकेले मुख्यमंत्री नहीं रहे। उनके अनुसार, जब अखिलेश सत्ता में थे तब असली फैसले मुलायम सिंह यादव, रामगोपाल यादव और शिवपाल यादव लेते थे। अब उनके कुनबे में धर्मेंद्र यादव, अक्षय यादव और डिंपल यादव भी जुड़ गए हैं, लेकिन इनमें से कोई भी राजनीतिक रूप से प्रभावी नहीं है।
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सम्राट चौधरी की इस टिप्पणी पर अखिलेश यादव ने भी करारा पलटवार किया। अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अखिलेश यादव ने तंज भरे लहजे में लिखा— “एक सलाह: उप रहें, चुप रहें! पहले अपने राज्य की ठप्प सड़कें बनवाइए, फिर उन लोगों पर बोलिए जिन्होंने देश के सबसे अच्छे और तेज़ी से विश्वस्तरीय एक्सप्रेसवे और मेट्रो बनाई है। तभी पटना मेट्रो का मुँह देख पाएगा।” इस बयान से साफ है कि अखिलेश यादव ने सम्राट चौधरी को सीधे तौर पर उनके कामकाज पर घेरा और यूपी की उपलब्धियों का हवाला देकर बिहार सरकार पर सवाल उठाया।

दरअसल, अखिलेश यादव शनिवार को महागठबंधन की वोटर अधिकार यात्रा में शामिल हुए थे। इस दौरान उन्होंने बीजेपी और चुनाव आयोग पर जमकर निशाना साधा। अखिलेश ने कहा कि अवध की जनता ने बीजेपी को हटाया है और अब मगध के लोग भी बीजेपी को सत्ता से बाहर करेंगे। उन्होंने चुनाव आयोग पर पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि आयोग का फैसला “वोट चोरी और डकैती” की तैयारी था।
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अखिलेश यादव ने इस यात्रा के मंच से राहुल गांधी, तेजस्वी यादव और बिहार की जनता को भी बधाई दी कि वे लोकतंत्र बचाने और वोट के अधिकार की रक्षा के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने यह दावा भी किया कि बीजेपी अब बिहार से बाहर होगी और युवाओं का मजबूरन पलायन रुक जाएगा। अखिलेश ने कहा कि तेजस्वी यादव ने युवाओं को रोजगार देकर जो मिसाल पेश की थी, वह आज भी जनता को याद है।






















